बजट 2020: 10 से 15 फीसदी घटाया जा सकता विभागों का बजट 

भोपाल। प्रदेश में इस बार बजट की प्रक्रिया में बदलाव किया जा सकता है, प्रमुख विभागों का बजट अब वित्त मंत्री तरुण भनोत विभागीय मंत्रियों के साथ मंथन करने के बाद तय करेंगे। इसके लिए बैठकों का सिलसिला 15 जनवरी के बाद शुरू हो सकता है। केंद्र सरकार के असहयोग और राज्य के वित्तीय संसाधनों की सीमित उपलब्धता को देखते हुए इस बार बजट अधिक उदार रहने की संभावना कम ही जताई जा रही है।



सूत्रों के मुताबिक वित्त विभाग का अनुमान है कि 2019-20 में केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि में 15 से 20 हजार करोड़ रुपए की कमी हो सकती है। वहीं, राज्य के राजस्व भी तय लक्ष्य से पीछे रहने की उम्मीद है। ऐसे में साल 2020-21 के लिए विभागों का बजट 10 से 15 फीसदी घटाया जा सकता है। मुख्य सचिव सुधिरंजन मोहंती ने अधिकारियों के साथ बजट को लेकर शुरुआती बैठक में इसके संकेत भी दे दिए हैं।
ऐसे में सरकार की प्राथमिकताओं को मद्देनजर रखते हुए बजट तैयार करना होगा। इसके लिए उपसचिव स्तर की बैठक का दौर पूरा हो चुका है। अब अपर मुख्य सचिव अनुराग जैन और प्रमुख सचिव मनोज गोविल विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे।


बताया जा रहा है कि इसके बाद जो खाका तैयार होगा, उसको लेकर वित्त मंत्री तरुण भनोत प्रमुख विभागों (लोक निर्माण, नगरीय विकास, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, कृषि, स्वास्थ्य सहित अन्य) के मंत्रियों के साथ मंथन करेंगे। इसमें यदि दोराय सामने आती है तो फिर मुख्यमंत्री कमलनाथ के पाले में गेंद जाएगी।
खर्चीला काम सरकार हाथ में नहीं लेगी
सूत्रों का कहना है कि इस बार बजट दो लाख करोड़ रुपए के भीतर रह सकता है। ज्यादा खर्चीला कोई भी काम सरकार हाथ में नहीं लेगी। दरअसल, आबकारी जैसे अहम विभाग से जितना राजस्व मिलने की उम्मीद थी, उतना प्राप्त होने की संभावना कम है।


इस साल 13 हजार करोड़ रुपए की आय का लक्ष्य आबकारी से रखा गया था, लेकिन इसके अधिकतम 11 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसी तरह राजस्व, ऊर्जा भी तय लक्ष्य से पीछे रह सकते हैं। केंद्र सरकार से जीएसटी सहित अन्य हिस्से की राशि भी उम्मीद से काफी कम मिलने के आसार हैं।
बढ सकता है वेतन-भत्तों का खर्च
सूत्रों का कहना है कि वेतन-भत्तों का खर्च इस बार 75 हजार करोड़ रुपए सालाना तक पहुंच सकता है। इसमें नियमित, संविदा, अंशकालिक कर्मचारियों के साथ पेंशनर्स को देय वेतन/पेंशन और भत्ते शामिल हैं। अकेले पांच फीसदी महंगाई भत्ते व राहत में वृद्धि पर ही लगभग तीन हजार करोड़ रुपए का भार खजाने पर आ रहा है।