ज्योतिषाचार्यो एवं पंडितो के अनुसार जानिए कब मनाएं त्यौहार

13 को रंग पंचमी, 15 को शीतला सप्तमी एवं 18 मार्च को दषा माता पर्व मनाया जाए 
noman khan
झाबुआ। इस बार रंग पंचमी, शीतला सप्तमी एवं दषा माता पर्व की तिथि संषय को लेकर असमंजस की स्थिति बनने से इस संबंध में ज्योतिष शिक्षण जन कल्याण समिति की बैठक पं. विष्णकुमार शर्मा, सिद्ध विजय पंचांग निर्माण कर्ता (सुखेड़ा) की अध्यक्षता में स्थानीय श्री राम मंदिर पर संपन्न हुई।    
 बैठक में पं शर्मा ने बताया कि 1986 में विज्ञान भवन, दिल्ली में 200 से अधिक पंचांगकर्ता की बैठक भारत सरकार एवं पंचांग शोधन समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुई थी। जिसमें चित्र पक्षीय को सर्व-सम्मति से पूर्ण मान्यता दी गई थी, ग्रहलाघन पद्धति अभी भी प्राचीन पद्धति के अनुरूप चल रहीं है, जबकि आज अति सूक्ष्म गणित की जा सकती है, परन्तु आज भी कुछ पंचाग निर्माणकर्ता आज भी पुरानी पद्धति से पंचागों का निर्माण कर रहे है, जबकि इनमें शोधन की आवष्यकता है। पं. शर्मा ने आगे बताया कि भारत के 95 प्रतिषत पंचाग चित्र पक्षीय सूक्ष्म गणित को अपनाते है, जो शुद्ध शास्त्र संवत एवं वैध शाला द्वारा सिद्ध है। राजस्थान में चित्र पक्षीय दृष्य गणित को पूर्ण मान्यता दी जाती है। भारत सराकर द्वारा 13 भाषाओं में निकलने वाला राष्ट्रीय पंचांग भी इसी गणित को अपनाता है। 
किस तिथि को मनाए कौन सा त्यौहार .... ?
पं. शर्मा ने बताया कि 13 मार्च को प्रातः सूर्योदय उपरांत 8.51 पर पंचमी आरंभ हो रहीं है, जो 14 मार्च को सूर्योदय पूर्व 6.16 पर समाप्त हो रहीं है। इसी कारण पंचमी का क्षय हो रहा हे। शास्त्र मान्यता अनुसार उक्त तिथि मान्य है, अतः 8.51 के उपरांत तिथि रंग पंचमंी मनाने हेतु उपयुक्त है। इसी प्रकार सप्तमी तिथि 15 मार्च को सूर्योदय पूर्व 4.26 पर आरंभ हो रहंी है, जो 16 मार्च केा सूर्योदय पूर्व 3.20 को समाप्त हो जाएगी, इसी कारण शीतला सप्तमी 15 मार्च को मान्य रहेगी। कुछ लोगों में ये भ्रामक प्रचार है कि रविवार को पीपल की पूजन नहीं की जाती, इस विषय पर आचार्य जीवन पाठक (जड़वासा) ने बताया कि जहां तिथि का महत्व होता है, वहां वार को प्राथमिकता नहंी दी जाती। इसी तरह दषमी तिथि का आरंभ 18 मार्च को सूर्योदय पूर्व 3.25 पर हो रहा है, जो अगले दिन 19 मार्च को सूर्योदय पूर्व 4.27 पर समाप्त हो जाएगी। इस हेतु दषामाता पूजन 18 मार्च को ही मान्य है। 
सभी पंचांगकर्ता एवं ज्योतिषों ने मान्यता प्रदान की, झाबुआ के पंडितों ने भी दी स्वीकृति 
इस बैठक में लिए गए निर्णय को उज्जैन जीवाजी वैधषाला अधीक्षक श्री गुप्ता, जोधपुरा के पं. अभिषेक जोषी (पंचांग निर्माण कर्ता), नीमच के पं. भागीरथ जोषी (भादवा माता पंचांग कर्ता), राजोत के पं. रमेष पंड्या (कालचक्र पंचांग कर्ता) ने पूर्ण रूप से मान्यता प्रदान की। बैठक में समिति अध्यक्ष पं. ओमप्रकाष शर्मा, पं. जितेन्द्र नागर, पं. अषोक वषिष्ठ, पं. सुरेन्द्र शर्मा, पं. धर्मेन्द्र व्यास, पं. चेतन शर्मा, पं. आशीष मिश्रा आदि उपस्थित थे। झाबुआ में युवा ज्योतिषाचार्य एवं कर्मकांड पं. द्विजेन्द्र व्यास, पं. हिमांषु शुक्ला एवं कमलेष व्यास आदि भी ने इस निर्णय लिया है कि वे उक्त पंचांग एवं तिथि अनुसार ही इन त्यौहारों को मनाने की लोगों को सलाह एवं परामर्ष देंगे।