सिंधिया के एक ई-मेल से शिवराज सरकार में हड़कंप

-समर्थन में चना-सरसों की खरीदी को लेकर उठाए सवाल


भोपाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के एक ई-मेल से शिवराज सरकार में हडकंप मचा हुआ है। सिंधिया ने कृषि मंत्री को संबोधित इस ई-मेल में शिवराज सरकार द्वारा चना-सरसों की खरीदी को लेकर सवाल उठाए हैं और कृषि मंत्री को कई सुझाव दिए हैं। उल्लेखनीय है कि जब सिंधिया जब कांग्रेस में थे तो वह किसी काम के लिए तत्कालीन सीएम कमलनाथ को चिट्ठी लिखते थे। उनकी चिट्ठी को लेकर सियासी गलियारे में हर बार सवाल उठते थे। दरअसल, सिंधिया ने चार दिन पहले शिवराज सरकार में कृषि मंत्री कमल पटेल को ईमेल किया था। ईमेल में उन्होंने लिखा था कि मैं आपका ध्यान मप्र के किसानों की एक बड़ी गंभीर समस्या की ओर दिलाना चाहता हूं। उन्होंने लिखा कि, मध्यप्रदेश में इस बार चने और सरसों की बंपर पैदावार हुई है। इन दोनों फसलों की सरकारी खरीद की सीमा करीब 14-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर निर्धारित की गई है, जो की कम है। उन्होंने लिखा कि यह खरीद सीमा 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की जानी चाहिए। सिंधिया के इस ईमेल के बाद से हडकंप मचा हुआ है। सिंधिया के ईमेल के बाद उनके समर्थक और शिवराज सरकार में मंत्री तुलसी सिलावट ने भी कृषि मंत्री कमल पटेल से मुलाकात की है। सिंधिया की मांग पर सरकार के अंदर मंथन शुरू हो गया है। जल्द ही इसे लेकर मध्यप्रदेश की सरकार कोई घोषणा कर सकती है।
फसल उत्पादन की रिपोर्ट मांगी
बताते हैं कि सिंधिया के ईमेल के बाद मप्र भाजपा संगठन लेकर सरकार में गहमागहमी तेज हो गई है। कृषि मंत्री कमल पटेल ने सिंधिया के सुझावों को गंभीरता से लिया है और प्रत्येक जिले से फसलों की उत्पादन रिपोर्ट मांगी है।
तुलसी ने की पटेल से मुलाकात
सिंधिया के ईमेल के बाद उनके खासुलखास एवं शिवराज सरकार में जलसंसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने भी कृषि मंत्री कमल पटेल से मुलाकात की है। इस दौरान उन्होंने पटेल को अपने नेता सिंधिया के मंतव्य के बारे में बताया है। जिस पर मंत्री पटेल ने सभी कलेक्टरों से अपने-अपने जिले की फसलों की उत्पादन रिपोर्ट भेजने को कहा है।
सिंधिया का सुझाव जरूरी
दरअसल, अगले छह महीने के भीतर मध्यप्रदेश विधानसभा की 24 सीटों पर उपचुनाव होना हैं। 24 में से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग से आती हैं। इन क्षेत्रों में सरसों और चने का उत्पादन ज्यादा होता है। इन इलाकों में सिंधिया का अपना प्रभुत्व है। अब यदि उपचुनाव में भाजपा को अपनी जीत का परचम लहराना है, तो उसके सिंधिया की सलाह और सुझावों को मानना बड़ी मजबूरी भी है और जरूरी भी है।