कांग्रेस : कमबैक के  लिए सदन से सड़क तक कौन थामेंगा पतवार

सत्ता में वापसी में लिए उपचुनाव जीतना अब बड़ी चुनौती
anand prakash shukla
भोपाल। प्रदेश की सत्ता में प्रंद्रह साल बाद वापसी कर पंद्रह माह मेें ही सत्ता गवां चुकी कांग्रेस एक बार फिर कमबैक की रणनीति बनाने में जुट गई है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह ऐसा है कि उन्होंने अगला स्वतंत्रता पर्व पर ध्वजारोहण की बात भी कर डाली है। इन सबके बावजूद गौर करने वाली बात यह है कि कांग्रेस के पास अब कमबैक का एक ही रास्ता है। वो है राज्य में 24 खाली हुई विधान सभा सीटों पर होने वाले चुनाव में शत प्रतिशत सीटों को जीतना। राज्य की मौजूदा हालात ऐसे हैं कि वो अब कांग्रेस के लिए चुनौती बन गई है। सबसे बड़ी बात बचन पत्र का पूरा नही होना है। ऐसे में क्या कांग्रेस उपचुनावों में भाजपा के हमले का सामना कर पाएगी? एक बड़ा सवाल यह भी है कि कांग्रेस को एक मजबूत नेतृत्व सदन में चाहिए जो विपक्ष की मजबूत भूमिका निभा सके। सवाल यही है कि सदन से लेकर सड़क तक क्या कांग्रेस सामन्जस्य बनाकर सत्ता पक्ष से टकरा पाएगी और प्रदेश की जनता की आवाज मजबूत तरीके से उठा पाएगी? यह देखना दिलचस्प होगा।
 नेताप्रतिपक्ष को लेकर असमंजस :
 सत्ता में आने के बाद अब नए सिरे से भाजपा विधान सभा का सत्र बुलाएगी और अंतरिम बजट पास करवाएगी। ऐसे में क्या विपक्षी दल कांग्रेस अपना नेताप्रतिपक्ष का चयन कर पाएगा? इस बात को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है। दरअसल सत्ता में वापसी के बाद लगातार इस बात की मांग उठ रही थी कि प्रदेश अध्यक्ष किसी को चुना जाए, किंतु तमाम प्रयासों के बाद भी यह संभव नही हुआ। ऐसे में क्या फौरी तौर पर नेताप्रतिपक्ष का चयन हो जाएगा?
 कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं ने पूर्व सीएम कमलनाथ को नेताप्रतिपक्ष की जिम्मेदारी से नवाजना चाहते हैं किंतु एक व्यक्ति दो पद कैसे होगा? यदि ऐसा नहीं होता है तो सदन में कांग्रेस के मजबूत परफारमेंस को लेकर संशय बना हुआ है।
 ये हैं दावेदार :
 हाल ही में सीएम पद से त्यागपत्र दे चुके कमलनाथ को सज्जन वर्मा और पीसी शर्मा जैसे कद्वावर नेताओं ने नेताप्रतिपक्ष बनाए जाने की मांग केंद्रीय नेतृत्व से कर चुके हैं। बावजूद इसके बालाबच्चन, जयवर्धन सिंह, जीतू पटवारी तथा उमंग सिंघार आदि के नाम प्रमुखता से दौड़ में आगे चलना बताए जा रहे हैं।
 उपचुनावों से पहले कांग्रेस को ढूंढने होंगे इसके जवाब :
 प्रदेश कांग्रेस को राज्य में होने वाले उपचुनावों से पहले इस सवाल का जवाब खोजना होगा कि उसके द्वारा दिए गए बचन का शत प्रतिपत पालन पूरा होने में कहां चूक हो गई? सबसे बड़ी चुनौती बचन पत्र में दिए गए बचनों में किसान कर्जमाफी, शिक्षा विभाग के अध्यापक संवर्ग तथा राज्य के कर्मचारियों के साथ साथ युवाओं महिलाओं, छात्रों को दिए गए बचन पूरा क्यों नहीं हुए।
 कांग्रेस विधायक दल की बैठक 25 को :
 राज्य की बदली हुई स्थितियों को देखते हुए कांग्रेस विधायक दल की बैठक 25 मार्च को बुलाई गई है। बताया जा रहा है कि कमलनाथ के निवास पर होने वाली इस बैठक का उदेश्य वर्तमान हालातों से निपटना होगा। इसके साथ ही 26 मार्च को होने जा रहे राज्य सभा के लिए मतदान को लेकर रणनीति भी बन सकती है।
  बताया जा रहा है कि कमलनाथ की मुलाकात पार्टी हाईकमान से हो चुकी है जिसमें मप्र की राजनीतिक हालातों को लेकर विस्तार से चर्चा हुई है। सूत्रों की मानें तो कमलनाथ ने आने वाले समय में राज्य की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के माध्यम से कमबैक की बात पार्टी हाईकमान से कही है। अब ऐसे में देखना यह दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में मप्र में कांग्रेस वापसी करेगी या नही?