जिला अस्पताल में प्रसूता वार्ड के बाहर छत का प्लॉस्टर गिरा, कोई हताहत नही

amjad khan
शाजापुर। जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते अस्पताल के प्रसूता वार्ड के छत का प्लास्टर देररात भरभराकर गिर गया। हालांकि इस घटना में किसी को कोई चोंट तो नही आई है, लेकिन दिन के समय यदि यह हादसा होता तो बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार रात करीब 12 बजे के लगभग जिला अस्पताल के प्रसूता वार्ड के गलियारे की छत का प्लॉस्टर अचानक से भरभराकर गिर गया। गनीमत यह रही कि जिस समय यह हादसा हुआ उस समय वहां कोई मौजूद नही था, वरना बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती थी। उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल का अधिकांश हिस्सा जर्जर हो चुका है और पूर्व में भी अस्पताल का एक बड़ा हिस्सा जमींदोज हो गया था, लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदारों ने अस्पताल की बदहाली सुधारने के लिए कोई ठोंस कदम नही उठाए हैं। नतीजतन अस्पताल पहुंचने वाले चिकित्सक, ,मरीज और उनके परिजनों की जान पर खतरा मंडरा रहा है।


संसाधनों की कमी के चलते अनोपयोगी करोड़ों का ट्रामा सेंटर
 उल्लेखनीय है कि 60 साल पुराना अस्पताल का भवन जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है, लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी इस ओर गंभीरता नही दिखा रहे हैं जो भविष्य में बड़े हादसे का सबब बन सकता है। वहीं जिम्मेदारों की उदासीनता के कारण करोड़ों रुपए की लागत से निर्मित ट्रामा सेंटर भी अनोपयोगी साबित हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि चिकित्सकों की कमी, स्वास्थ्य संसाधनों का टोंटा और कुछ अधूरे पड़े कार्य की वजह से अस्पताल को ट्रामा सेंटर भवन में स्थानांतरित नही किया जा सका है। जब तक नवीन भवन में साधन-साधन संसाधनों की कमी को पूरा नही किया जा सकेगा तब तक उसमें अस्पताल को शिफ्ट करना संभव नही होगा।


पूर्व में जमींदोज हो चुका है जच्चा वार्ड
 गौरतलब है कि जिला अस्पताल का भवन वर्षों पुराना होकर जर्जर हो चुका है, जिसका उपरी तौर पर जीर्णोंद्धार कर जिम्मेदार मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने काम काम लंबे समय से करते आ रहे हैं और इसीके चलते 6 दिसंबर 2014 को भी जच्चा वार्ड अचानक से धराशायी हो गया था और इसके बाद से लगातार छतों के प्लॉस्टर गिरने की खबर सामने आ रही है। वहीं सोमवार रात को भी उसी स्थान पर प्रसूता वार्ड के बाहर की छत का प्लॉस्टर गिर गया। समय रहते यदि जिम्मेदारों ने ध्यान नही दिया तो आने वाले दिनों में मरीजों और डॉक्टरों की जान पर बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।


इनका कहना है
 डॉक्टरों की कमी और संसाधनों के अभाव में ट्रामा सेंटर चालू नही किया जा सका है। ट्रामा सेंटर में सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद उसमें जिला अस्पताल को शिफ्ट किया जा सकेगा।
-एसडी जायसवाल, सिविल सर्जन जिला अस्पताल शाजापुर।