रतलाम में सामने आया बैध हथियार अवैध लाइसेंस का मामला


amit nigam
रतलाम। रतलाम पुलिस ने एक सनसनीखेज मामले का खुलासा करते हुए बताया कि जिला पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी के नेतृत्व में चलाए जा रहे 'ऑपरेशन शिकंजा' अभियान के तहत अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही की गई है। साथ ही यह मामला भी अपने आप में एक अनूठा है। अभी तक के अन्य मामलों में अधिकांशतः यह पाया जाता था कि अपराधियों और आरोपियों के पास से अवैध हथियार मिलते थे, जो अवैध तरीके से लाये जाते थे। लेकिन इस बार तो हथियार तो वैध थे लेकिन हथियार रखने और खरीदने का लाइसेंस ही अवैध तरीके से प्राप्त किया गया था। और इस पूरे घटनाक्रम के तार सुदूर पूर्वी राज्य नागालैंड से जुड़े है।पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी एक प्रेस वार्ता में बताया कि विगत चुनाव के समय शस्त्र लाइसेंस धारियों के शस्त्र जमा कराए गए थे तथा जब इन लाइसेंस धारियों के पृष्ठभूमि की बारीकी से जांच की गई तो यह पाया गया कि इनमें से कुछ लोगों के पहले से आपराधिक रिकॉर्ड हैं और उसके बावजूद भी उनके पास शस्त्र लाइसेंस है। विस्तृत जाँच करने पर पता चला कि यह लाइसेंस मध्यप्रदेश से नहीं अपितु नागालैंड से संपूर्ण भारत के लिए जारी किए गए थे। मामले में शंका होने पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत बाकलवार तथा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुनील पाटीदार द्वारा नगर पुलिस अधीक्षक अगम जैन के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया गया और गहन जाँच शुरू की गई थी।



 एस आई टी द्वारा करीब 5 माह तक संपूर्ण रतलाम जिले के शस्त्र लाइसेंसो का काफी गहराई से जांच की गया। जिनमें पांच संदेहास्पद शस्त्र लाइसेंस पाए गए। यह लाइसेंस जीवन सिंह पिता शेर सिंह राठौर ग्राम शेरपुर, राजेंद्र पिता रामचंद्र टांक, दीनदयाल नगर रतलाम, कमरुद्दीन पिता बरकत अली, डाट की पुल रतलाम, मुकेश पिता शंकर लाल प्रजापत, विद्युत कॉलोनी, जावरा, तथा अविनेन्द्र सिंह पिता रघुनाथ सिंह भाटी ग्राम बेरछा थाना बिलपांक रतलाम के नाम से पाए गए। यह सभी लाइसेंस नागालैंड से प्राप्त किए गए थे। जांच में यह पाया गया कि इनमें से तीन व्यक्तियों जीवन सिंह, राजेंद्र टांक और अविनेन्द्र सिंह के खिलाफ पूर्व में विभिन्न थानों में आपराधिक प्रकरण दर्ज थे। उसके बावजूद भी उक्त लाइसेंसों का जारी किया जाना शंकास्पद था। अधिक जाँच के लिए एक दल का गठन कर नागालैंड के जिला जुन्हेबोटो भेजा गया। नगर पुलिस अधीक्षक अगम जैन द्वारा जुन्हेबोटो के पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस आयुक्त से सतत सम्पर्क रखा गया। जिससे जानकारी प्राप्त हुई कि जीवन सिंह एवं अविनेंद्र सिंह भाटी के द्वारा प्रस्तुत शस्त्र लाइसेंस किसी अन्य व्यक्तियों के नाम से नागालैंड में दर्ज हैं। जबकि राजेंद्र टांक, कमरुद्दीन अली एवं मुकेश प्रजापत द्वारा प्रस्तुत लाइसेंस का कोई रिकॉर्ड वहां के कार्यालय में नहीं पाया गया। रतलाम पुलिस की जांच के दौरान आरोपियों ने बताया कि राजेंद्र टांक, कमरुद्दीन अली, मुकेश प्रजापत तथा अविनेंद्र सिंह भाटी द्वारा नागालैंड जाकर अपने लाइसेंस बनवाए गए थे तथा जीवन सिंह ने अविनेंद्र सिंह भाटी के माध्यम से लाइसेंस बनवाया था।


एसआईटी द्वारा जांच में यह निष्कर्ष निकाला गया कि पांचों आरोपियों द्वारा अवैध तरीके से कूट रचना के माध्यम से शस्त्र लाइसेंस प्राप्त किए गए थे तथा उसी लाइसेंस के आधार पर आरोपियों द्वारा शस्त्र प्राप्त किए गए थे। जबकि उक्त शस्त्रों को अपने पास वैध बताते हुए रखना ही अपने आप में एक अवैध कृत्य था। साथ ही समय समय पर इन्हें वैध बताते हुए, कूटरचित दस्तावेज़ों के माध्यम से विभाग के समक्ष प्रस्तुत किये गए थे। अतः पुलिस ने पांचों आरोपियों के खिलाफ कूटरचित दस्तावेज़ तैयार करने, छलपूर्वक शस्त्र प्राप्त करने एवं कूटरचित दस्तावेज़ों को लोकसेवक के समक्ष प्रस्तुत करने का मामला पाया। उक्त जाँच पर आरोपियों के खिलाफ अपराध पंजीकृत किया गया।


पांचों आरोपियों की पृष्ठभूमि की अगर बात की जाए तो यह सभी रसूखदार लोगों की गिनती में आते हैं। पुलिस ने शस्त्र, राउंड, दस्तावेज इत्यादि जब्त कर लिए है। और जीवन सिंह इस वक्त फरार बताया जा रहा है।_ एसपी गौरव तिवारी