भाजपा जा सकती है अदालत

परिस्थिति के अनुरूप भाजपा भी जा सकती है अदालत 
 सदन में बहुमत परीक्षण को लेकर सत्तापक्ष- विपक्ष आमने सामने 
भोपाल। प्रदेश में इन दिनों सियासी घमासान चरम पर है और फ्लोर टेस्ट के चलते सत्तापक्ष और विपक्ष आमने सामने आ गए हैं। सोलह मार्च से बजट सत्र शुरू होना है और भाजपा ने मांग कर रखी है कि वो बजट अभिभाषण से पहले ही सरकार का बहुमत परीक्षण कराया जाए। उधर कांग्रेस इस बात पर अड़ी है कि उसके दल के बाईस विधायक जो कि बेंग्लुरू में हैं उन्हें सबसे पहले सदन तक लाया जाए उसके बाद ही बहुमत की होनी चाहिए। 


दोनों सियासी दलों के इस घमासान में एक बार फिर विधानसभा अध्यक्ष और राज्यपाल की भूमिका पर सबकी निगाहें टिक गई हैं। दलों के अपने दावे हैं किंतु देखना अब यह दिलचस्प हो गया है कि आखिरकार विधानसभा अध्यक्ष को क्या राज्यपाल किसी प्रकार का निर्देश दे सकते हैं या पहले विधान सभा अध्यक्ष की कार्रवाई को देखेगें। माना यही जा रहा है कि ऐसे में संभावना इस बात की ज्यादा दिख रही है कि संभवतया राज्यपाल अपने अभिभाषण से पहले विधानसभा अध्यक्ष को सरकार के बहुमत परीक्षण के लिए निर्देश दे सकते हैं। 


कोर्ट जाने का रास्ता खुला है : 
उधर भाजपा के रणनीतिकारों का कहना है कि सत्ताधारी दल जो कि आरोप लगा रहा है कि विधायकों को बंधक बनाकर रखा गया है तो इस मामले में वो सीधे तौर पर अदालत जाने को स्वतंत्र हैं। इसके साथ ही एक बात और गौर करने वाली है कि विधान सभा अध्यक्ष यदि बहुमत परीक्षण के लिए ज्यादा समय देते हैं तो भाजपा भी अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है। 
 इस संबंध में भाजपा विधि प्रकोष्ठ के मुखिया शांतिलाल लोढ़ा ने कहा है कि इस प्रकार के छिटपुट उदाहरण तो हैं किंतु यदि अल्पमत की सरकार बिना फलोर टेस्ट के सदन में आती है तो निश्चित रूप से अदालत जाने का काम किया जाएगा। सवाल अब यह भी है कि अभिभाषण अल्पमत की सरकार का कैसे संभव हैं? 


कांग्रेस कह चुकी है अदालत जाने की बात : 
 बेंग्लुरू प्रकरण को लेकर कांग्र्रेस दो दिन पहले ही कह चुकी है कि वो इस मामले में अदालत जाएगी । हालांकि अभी दो दिन बाद भी कांग्रेस अदालत नहीं गई। माना जा रहा है कि वो सोमवार को वो अदालत जा सकती है।