च्वाईस फिलिंग करवाकर फिर अतिथि विद्वान बना रही काँग्रेस सरकार

रविवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर होगा सामूहिक मुंडन 
noman khan
झाबुआ। शनिवार को अतिथि विद्वानों के आंदोलन ने कुल 96 दिन पूरे कर लिये है। यह सभी नियमितीकरण की माँग के लिए भोपाल के शाहजहाँनी पार्क में लड़ाई लड़ रहे हैं ,परंतु उच्च शिक्षा विभाग ने 2030 फाॅलेन आउट में से 1000 के लगभग पदों पर फिर से अतिथि विद्वान बनाने के लिए 6 मार्च तक चॉइस फिलिंग करवा ली है। जिसमें 11 से 13 मार्च के बीच महाविद्यालय में उपस्थिति दर्ज करना है। इसमें नवीन 450 पद भी शामिल है,जिनको पीजी काॅलेज में हर विषय में एक -एक पद बढाकर च्वाईस करवाई गई है। लेंकिन महाविद्यालयो के प्राचार्यों का कहना है कि,जब तक लिखित में आदेश नही डलेगा,तब ज्वाईनिंग नही देगें।
    मोर्चा के संयोजक डाॅ.सुरजीत सिंह भदौरिया ने बताया कि, शासन से हम तीन माह से नियमित होने की माँग कर रहे है। फिर भी अतिथि विद्वान बनाया जा रहा है। हमने हर तरीके से सरकार से निवेदन किया,परंतु मंत्री को अधिकारी भड़का देते है। संयोजक डाॅ. देवराज सिंह ने कहा कि, राज्य कर्मचारी आयोग में मामला ठंडे बस्ते में पडा है। नियमितीकरण तो केबिनेट में प्रस्ताव लाकर किया जा सकता है, केवल बहाना बना रहे है।
वहीं रविवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अतिथि विद्वान महिलाऐं सामूहिक मुंडन करवाऐंगी। आंदोलन के दौरान ही डाॅ. शाहिन खान और लाक्सार दास अपने केश सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में त्याग चुकी है। इससे पूर्व भाजपा शासन में डाॅ. पार्वती व्याघ्रे ने भी मुडंन करवाया था। इस संबंध में डाॅ.शाहिन खान का कहना है कि, नारी की सुंदरता में केश अति महत्वपूर्ण होते हैं। जिनको कमलनाथ सरकार ने बाध्य करके छीन लिया है ,परंतु नारी शक्ति का अभिशाप अच्छे-अच्छो को मिटा देता है।
    गवर्नमेंट पीजी कॉलेज झाबुआ के अतिथि विद्वान शंकरलाल खरवाडिया ने बताया कि, अतिथि विद्वान केवल 30 जून तक के लिए बनाया जा रहा है।उसके बाद फिर नये सिरे से च्वाईस फिलिंग करवाकर आधे लोगो को तरकीब से बाहर कर देगें। इतिहास विषय में मात्र 64 पद ओपन किये है,जबकि 63 लोग इसके बाद भी बेरोजगार रहेंगें। लेंकिन शासन सहायक प्राध्यापक भर्ती की जाँच पर इतनी मौन क्यों है।
        झाबुआ जिले से आंदोलन में शामिल अतिथि विद्वानों में शंकरलाल खरवाडिया,राजेश पाल, मानसिंह चैहान, दीपसिंह मावी, प्रवेश जाटव, कोमल सिंह बारिया, डाॅ.संगीता राठौर, डॉ.अर्चना मिश्रा, मीनाक्षी माली, मिनल मोहनिया, दल्लूसिंह वास्केल, निवृत्ति दुबे आदि है।