कश्मीर के मुद्दे पर पाक की 1971 से भी बड़ी हार: पाक मीडिया

नई दिल्ली जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने के बाद डिप्लोमैसी के स्तर पर भारत के मजबूत होमवर्क के सामने पाकिस्तान के बुरी तरह पिटने के बाद इमरान खान खुद अपने ही देश में सवालों में घिर गए हैं। उधर, अनुच्छेद 370 पर भारत का अंदरूनी मामला बताकर सपोर्ट करने वाले मुल्कों की तादाद बुधवार को और बढ़ती रही। भारत को इस मुद्दे पर अहम सफलता तब मिली जब मालदीव भारत के समर्थन में खुलकर आया। मालदीव ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाना भारत का आंतरिक मामला है और हर देश को अपनी जरूरतों और हित के अनुसार कानून बनाने-बदलने का अधिकार है। मालदीव का बयान उस सामरिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है तब जब चीन ने खुलकर भारत के फैसले का विरोध किया था।


भारत ने पहले किया था होमवर्क
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार भारत ने कश्मीर के मसले पर पहले ही पूरे विश्व समुदाय को हकीकत से अवगत करा दिया था जिससे पाकिस्तान के झूठ को काउंटर करने में मदद मिली। सूत्रों के अनुसार पिछले दस दिनों से अंदर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका सहित सभी देशों से लगातार संपर्क में थे। दिलचस्प बात है कि पाकिस्तान ने भारत के सख्त स्टैंड को भांप भी लिया था लेकिन इसके बाद भी भारत ने उसे पूरी तरह अलग-थलग कर दिया। अमेरिका ने जहां पाकिस्तान को इग्नोर किया वहीं, इस्लामिक देशों के संगठन ने हालात पर चिंता जताने के अलावा इसमें आगे कुछ भी करने से इनकार कर दिया। पाकिस्तान को सबसे अधिक उम्मीद इन्हीं देशों पर थी। संयुक्त अरब अमीरात पहले ही भारत का समर्थन कर चुका है। 5 अगस्त को फैसला होने के बाद भारत ने तुरंत यूरोपीय देशों से संपर्क साध लिया था।


'1971 से भी बड़ी हार'
पाकिस्तान में इसे बहुत बड़ी हार मानी जा रही है और मीडिया ने तो इसे 1971 के शर्मनार हार तक से तुलना कर दिया। पाकिस्तान की इसे बड़ी कूटनीतिक हार मानी जा रही है और महज दो हफ्ते अमेरिका का दौरा कर लौटे इमरान खान के दौरे को मास्टर स्ट्रोक बता रहे थे, वही अब इसे बड़ी हार बता रहे हैं। इमरान खान की पूरे देश में फजीहत हो रही है और अब तक जो उन्हें मजबूत नेता मान रहे थे वे भी अब तक का सबसे कमजोर नेता मान रहे हैं। इन आलोचनाओं के बीच इमरान खान की सरकार बौखलाहट में भारत से कूटनीतिक संबंध तोड़ने की बात से लेकर युद्ध तक की धमकी दे रहा है। सूत्रों के अनुसार इस बारे में पाकिस्तान एक दिन के अंदर कोई फैसला ले सकता है। हालांकि भारत ने पाकिस्तान को इग्नोर करने की रणनीति पर कायम है।