कोराना का खतरा : याचिकाकर्ता पर 20 हजार का जुर्माना

-देर से मुकदमा दायर कर अर्जेंट सुनवाई की मांग पर हाईकोर्ट सख्त
praveen namdev
जबलपुर। देर से दायर किये गये मुकदमें को अर्जेंट बताकर न्यायालय का समय बर्बाद करने को हाईकोर्ट ने सख्ती से लिया है। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता ने 9 माह बाद प्रकरण दायर किया है, जहां एक ओर कोराना वायरस को लेकर अलर्ट जारी है और सिर्फ अर्जेंट मामलों की सुनवाई की ही एडवायजरी जारी की है, ऐसे में आवेदक द्वारा अंतरिम राहत को लेकर न्यायालय का समय खराब किया गया। जिस पर एकलपीठ ने याचिकाकर्ता पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए 15 दिनों में उक्त मप्र विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करने के निर्देश दिये है। इसके साथ ही वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी कर छ: सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये है।
यह मामला कटंगी निवासी मोह. यासीन की ओर से दायर किया गया था। जिसमें वक्फ दरगाह हजरत जिन्दा शाह वली-ए-कामिल कटंगी की प्रबंध कमेटी के 25 जून 19 के गठन को चुनौती देते हुए उक्त याचिका फरवरी 2020 में दायर की गई। मामले में आवेदक की ओर से विगत दिवस अंतरिम राहत दिये जाने की मांग करते हुए मामले में अर्जेंट सुनवाई किये जाने की राहत चाही गई। सुनवाई दौरान न्यायालय ने पाया आवेदक ने स्वयं ही 9 माह बाद यह मामला दायर किया है और देरी का कोई ठोस कारण भी आवेदक बता नहीं सका है। जबकि कोराना वायरस को लेकर मुख्य न्याधिपति की ओर से अर्जेंट मामलों की सुनवाई के निर्देश है, ऐसे में आवेदक का रवैया सही नहीं है। उक्त मत के साथ न्याायालय ने आवेदक पर 20 हजार रुपये की कॉस्ट लगाते हुए मामले की अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद निर्धारित की है। मामले में मप्र वक्फ बोर्ड की ओर से अधिवक्ता मुकेश कुमार अग्रवाल, व प्रबंध कमेटी की ओर से अधिवक्ता ब्रम्हदत्त सिंह, साजिद नवाज खान व मो. अमजद ने पैरवी की।