PWD घोटाले की फाइल क्लोज करने की कवायद

भोपाल। लोक निर्माण विभाग में बहुचर्चित 'पोल घोटाले" को लेकर छानबीन अब तक अंजाम पर नहीं पहुंच पाई है। करीब तीन महीने पहले भौतिक सत्यापन में साबित हो चुका है कि सीहोर में विद्युत पोल, हाई मास्ट, फ्लड लाइट एवं इरेक्टिंग ओक्टागोनल विद्युत पोल के नाम पर 35 लाख 60 हजार रुपये का फर्जी भुगतान कर दिया गया था। मामले में अब लीपा-पोती की कवायदें शुरू हो गई हैं।



लोक निर्माण विभाग ने सीहोर जिले में सोया चौपाल से हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी तक स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए 1.15 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। इस कार्य में विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से प्रोवाइडिंग एवं इरेक्टिंग ओक्टागोनल विद्युत पोल 196 लगाने के नाम पर भुगतान हो गया, लेकिन जब भौतिक सत्यापन हुआ तो केवल 77 नग ओक्टागोनल विद्युत पोल ही मौके पर पाए गए। 392 जीआई डबल आर्म ब्रेकेट का प्रोवाइडिंग एवं फिक्सिंग का भुगतान कर दिया गया।
विभाग ने चार नग हाई मास्ट लाइटिंग सिस्टम का भुगतान किया था, लेकिन जांच के दौरान मौके पर एक भी हाईमास्ट लाइटिंग सिस्टम नहीं पाया गया। यही स्थिति 24 फ्लड लाइट के मामले में पाई गई, भुगतान तो कर दिया गया, लेकिन लाइट नदारद थीं। इस घोटाले में सीहोर में चौपाल सागर से हाउसिंग बोर्ड कालोनी तक सात किलोमीटर क्षेत्र में पुराने खंभे निकालकर नए खंभे लगाए गए थे। बिजली और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने पुराने खंभे कहीं ओर लगवा दिए थे। बताया जाता है कि इस मामले में मौके से गायब सामान लगाकर लीपा-पोती की कवायदें शुरू हो गई हैं।


निलंबन एवं नोटिस की कार्रवाई
विभाग के प्रमुख अभियंता आरके मेहरा ने बताया कि प्रारंभिक छानबीन के बाद गंभीर अनियमितता और गबन पाए जाने पर तीन उपयंत्रियों को निलंबित किया गया है। शासन की ओर से अधीक्षण यंत्री एमके शुक्ला और कार्यपालन यंत्री अशोक शर्मा को इस फर्जीवाड़े में लापरवाही और उदासीनता के लिए कारण बताओ नोटिस दिए गए हैं।


तीन उपयंत्री निलंबित
मामले में उपयंत्री कु. सुनीता धुर्वे, एमआर लिल्लौरे एवं नीतेश पटेल को प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर निलंबित कर दिया गया। तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी ओंकार चौबे का निधन हो गया है, इसलिए विभाग ने उनके खिलाफ कार्रवाई बंद कर दी। उपयंत्री राखी मालवीय को सही प्राक्कलन पेश न करने पर कारण बताओ नोटिस थमाया गया है।