रोगोँ से बचाव का साधन : नित्य अग्निहोत्र


भोपाल ।आज चारॊ ऒर् एक ही चर्चा है कॊरिना वाइरस की ! डर बढता ही जा रहा है ! 90 दॆश इसकी चपॆट मॆ आ चुकॆ है ! अब हमारा दॆश भी इससॆ प्रभावित हॊ रहा है ! ऎसॆ मॆ बचाव कॆ अनॆक उपाय हमारॆ सामनॆ है ! हाथॊ कॊ बार बार धॊना, सॆनॆटाईज़र का उपयॊग ! सर्दी जुकाम न हॊनॆ दॆना , गर्म पानी पीना आदि आदि ! सरकार नॆ इसॆ आपदा घॊषित कर दिया है ! 
बचाव कॆ उपायॊं मॆं सॆ एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढाना  ! बच्चे और बू्ढे जिनकी इंम्युनिटि पावर कम हो रही है वे ही इस सन्क्रमण में जान गंवाते है ! ऍसे मे पर्यावरण को स्वस्थ बनाना जिससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढे तो हमारा इस सन्क्रमण से बचाव सम्भव होगा ! पर्यावरण शुद्धि का अत्यन्त प्रभावी और सशक्त माध्यम है वैदिक दैनिक अग्निहोत्र, जिसे हर कोई अपना सकता है ! इसके जरिये हम हमारी इंंम्यूनिटि पावर को बढाकर रोग का मुकाबला कर सकते है ! यह दावा है सीहोर रोड बैरागढ स्थित माधव आश्रम की संपादिका दीदी नलिनी पोतदार का। उन्होंने बताया कि 
सूर्योदय और सूर्यास्त पर गाय के उपलों की अग्नि में गाय के घी की दो दो आहुतियां देनी होती हैं ! इससे  पर्यावरण शुद्ध और सशक्त होगा जिससे घर में रहने वाले सभी लोगों की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढेगी! अग्निहोत्र कोरोना का उपाय है, ऐसा कहकर मै यहाँ कहना चाहूँगी कि चाहे कोई भी वाइरस हो सबसे बचने के लिये हमें ही सशक्त और स्वस्थ होना होगा ! इसलिये पिछले समय आये अनेक वाइरस और उससे आगे आने वाले वाइरस सबका मुकाबला करने का और उससे बचाव करने का उपाय है अग्निहोत्र !