सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस में मची भगदड़

जिला कांग्रेस, शहर कांग्रेस, महिला कांग्रेस, सेवादल के सभी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ी 
हरीवल्लभ शुक्ला, श्रीप्रकाश शर्मा, अन्नी शर्मा, रामकुमार यादव पार्टी नहीं छोडऩे वालों में शामिल 
khemraj mourya
शिवपुरी। कांग्रेस से भाजपा में गए वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के पाला बदलने से कांग्रेस में भगदड़ का वातावरण उत्पन्न हो गया है। जिले में कांग्रेस के अधिकांश पदाधिकारी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पार्टी का दामन छोड़ दिया है और अपनी निष्ठा सिंधिया के प्रति व्यक्त की है। कांग्रेस के सभी सहयोगी संगठनों के पदाधिकारी कांग्रेस छोड़कर सिंधिया में अपनी आस्था व्यक्त कर चुके हैं। लेकिन कुछ गिने चुने पार्टी नेता अभी भी कांग्रेस में हैं। हालांकि पिछोर विधायक केपी सिंह अभी भी कांगे्रस में जमे हुए हैं। केपी सिंह, दिग्विजय सिंह समर्थक माने जाते हैं। 6 बार के विधायक होने के बाद भी उन्हें प्रदेश मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था। लेकिन उनकी कांगे्रस निष्ठा में कोई फर्क नहीं आया। पोहरी के  पूर्व विधायक हरीवल्लभ शुक्ला, जिला कांगे्रस के पूर्व अध्यक्ष श्रीप्रकाश शर्मा, नगर पालिका के पूर्व उपाध्यक्ष अनिल शर्मा अन्नी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता रामकुमार यादव ने सिंधिया के साथ न जाने का निर्णय लेकर कांग्रेस में बने रहने का फैसला किया है। 
कांग्रेस छोडऩे वाले प्रमुख लोगोंं में जिला कंाग्रेस अध्यक्ष बैजनाथ सिंह यादव, उनकी धर्मपत्नी जिलापंचायत अध्यक्ष कमला बैजनाथ सिंह यादव, पुत्र उपाध्यक्ष जनपद पंचायत बदरवास रामवीर सिंह यादव, शहर कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धार्थ लढ़ा और शैलेंद्र टेडिया, पूर्व विधायक गणेश गौतम, शकुन्तला खटीक, जिला कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष राकेश गुप्ता ,प्रदेश कांग्रेस महासचिव हरवीर सिंह रघुवंशी, प्रदेश कांग्रेस सचिव विजय शर्मा, पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष राकेश जैन आमोल, जनपद पंचायत के पूर्व अध्यक्ष पारम रावत, उपाध्यक्ष अशोक ठाकुर, पूर्व विधायक महेंद्र सिंह, सेवादल के पूर्व जिलाध्यक्ष महेश श्रीवास्तव, नगर पंचायत कोलारस के पूर्व अध्यक्ष रविंद्र शिवहरे, महिला कांग्रेस पदाधिकारी ऊषा भार्गव, पूनम कुलश्रेष्ठ, संजय सांखला, सिंधिया जनसम्पर्क कार्यालय के प्रभारी श्री यादव, मुकेश जैन, पूर्व प्रभारी राजेंद्र शर्मा, कपिल भार्गव, रामकुमार दांगी, भूपेन्द्र यादव, योगेन्द्र यादव, धनजय शर्मा, केशव सिंह तोमर, भरत सिंह चौहान, सुधीर आर्य, मीना आर्य, लालू चौहान, बृजेन्द्र सिंह पडरया, बलवीर निबोरिया, पल्लन जैन, अवधेश बेडिय़ा, अजय गुप्ता लाल कोठी, प्रदीप शर्मा, सुरेश सिंह बेडिय़ा, शंकर खटीक, राजू जैन प्रेम स्वीट्स, इरशाद पठान, मदन देशवारी, संदीप माहेश्वरी, श्रीमती बती आदिवासी, सिद्धार्थ चौहान, बृजकिशोर त्रिवेदी, हरिशंकर शर्मा, नीलू शुक्ला, पवन जैन, सोनू राजावत, रमन अग्रवाल, चंद्रभान लोधी, मोनू सिकरवार, हरीश अग्रवाल सहित सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हैं, लेकिन कांग्रेस नहीं छोडऩे वालों में प्रमुख रूप से पूर्व विधायक हरिबल्लभ शुक्ला, श्रीप्रकाश शर्मा, अन्नी शर्मा और रामकुमार यादव आदि शामिल हैं। जबकि कुछ कांग्रेस कार्यकर्ता अभी चिंतन मनन की मुद्रा में हैं और उनका कहना है कि वह एक-दो दिन में निर्णय लेंगे।


कांग्रेस विधायकों की संख्या घट कर एक हुई
नवम्बर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में शिवपुरी जिले की पांच विधानसभा सीटों में से तीन विधानसभा सीटों पर कांग्रेस उम्मीद्वारों ने जीत हासिल की थी जिनमें से पिछोर विधायक केपी सिंह को छोड़कर शेष दो कांग्रेस विधायक सुरेश राठखेड़ा और जसवंत जाटव सिंधियानिष्ठ माने जाते हैं। सिंधिया के पाला बदलने के बाद बैंगलोर में मौजूद सुरेश राठखेड़ा और जसवंत जाटव ने भी कांग्रेस छोडऩे की घोषणा कर दी है तथा विधायक पद से भी अपने इस्तीफे दे दिए हैं। हालांकि उनके इस्तीफे स्वीकार नहीं हुए हैं, परंतु इस घटनाक्रम से कांग्रेस विधायकों की संख्या घटकर एक रह गई है। अगर पोहरी विधायक सुरेश राठखेड़ा और करैरा विधायक जसवंत जाटव के इस्तीफे स्वीकार हो जाते हैं इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होंगे। पोहरी में राठखेड़ा का मुकाबला कांग्रेस के संभावित उम्मीद्वार हरिबल्लभ शुक्ला से माना जा रहा है।