चारधाम में बदली परंपरा! पहली बार सिर्फ 15 लोगों की मौजूदगी में केदारनाथ के खुले कपाट, पहली पूजा पीएम मोदी के नाम से की गई

-सबसे पहले मुख्य पुजारी ने भगवान केदारनाथ की डोली की पूजा की और भोग लगाया, फिर मंत्रोच्चारण के बीच कपाट खोले गए 
-पिछले साल 32 लाख लोगों ने की थी चारधाम यात्रा, कपाट खुलने के दौरान 3 हजार श्रद्धालुओं ने केदारनाथ के दर्शन किए थे



देहरादून। केदारनाथ धाम के पट बुधवार सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर खुले। उत्तराखंड में मौजूद यह 1000 साल पुराना मंदिर हर साल सर्दियों के छह महीने बंद रहता है। इस बार कपाट खुलने के दौरान 15 लोग ही मौजूद रहे। पिछले साल कपाट खुलने के दिन 3 हजार लोगों ने केदारनाथ के दर्शन किए थे। केदारनाथ मंदिर के रावल कपाट खुलने के दौरान मौजूद नहीं थे, वे क्वारैंटाइन हैं। देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि कपाट खुलने के बाद सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली पूजा की गई। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा गया। बुधवार को सबसे पहले मुख्य पुजारी ने भगवान केदारनाथ की डोली की पूजा की और भोग लगाया। उसके बाद मंत्रोच्चारण के बीच मंदिर के कपाट खोले गए। फिर डोली ने मंदिर में प्रवेश किया। इसके बाद पुजारियों ने मंदिर की सफाई की, भगवान की पूजा की और भोग लगाया।
परंपराओं को बदलना पड़ा
हर बार इस पूजा और भोग के बाद मंदिर को दर्शन के लिए खोला जाता है। लेकिन इस बार दर्शन के लिए यात्रियों के यहां आने पर मनाही है। कोरोना के चलते इस इलाके में भी प्रशासन ने भीड़ जमा होने पर पाबंदी लगा रखी है। यही वजह थी कि मंदिर और यात्रा से जुड़ी कई परंपराओं को इस बार बदलना पड़ा। केदारनाथ मंदिर के रावल कपाट खुलने के दौरान मौजूद नहीं थे। वह 19 अप्रैल को महाराष्ट्र से उत्तराखंड पहुंचे और ऊखीमठ में 14 दिन के क्वारैंटाइन में हैं। रावल 3 मई को केदारनाथ पहुंचेंगे।
यात्रा होगी या नहीं, फैसला नहीं  
वहीं, ऊखीमठ से केदारनाथ की डोली इस बार दो दिन में ही पहुंच गई और उसे गाड़ी में लाया गया। यह दूसरा मौका है जब डोली गाड़ी में आई है, इससे पहले देश में इमरजेंसी के वक्त ऐसा किया गया था। कोरोना की वजह से देशभर में जारी लॉकडाउन का प्रभाव चारधाम यात्रा पर भी पड़ा है। यात्रा होगी या नहीं इस पर फैसला अब तक नहीं हो सका है। पिछले साल 32 लाख लोगों ने चारधाम यात्रा की थी।