कोरोना के चलते तंगी : कर्जे को लेकर तेज हुई सियासत

कांग्रेस बोली जानबूझकर नागरिकों पर कर्ज बढ़ाना चाहती है सरकार
भाजपा : नाथ सरकार ने राज्य को धकेला आर्थिक तंगी की ओर


भोपाल। लाक डाउन को लेकर राज्य की आर्थिक तंगी को कर्जे के माध्यम से उबारने में लगी शिवराज सरकार के प्रयासों पर सियासत तेज हो गई है। एक ओर कांग्रेस ने इसे जानबूझकर राज्य के नागरिकों पर बोझ बढ़ाने वाला बता रही है । कांग्रेस का आरोप है कि जब राज्य में पैट्रोल और डीजल की दरें बेहद कम होनी चाहिए तब भाजपा सरकार ऐसा नहीं करके नागरिकों से अतिरिक्त राशि वसूल रही है। ऐसे में किस बात के लिए कर्जा चाहिए? वहीं दूसरी ओर सत्तारूढ़ दल भाजपा का कहना है कि राज्य में जब कोरोना नहीं था और ना ही लाक डाउन था तब क्या जरूरत थी कि चालीस हजार करोड़ का लोन और सत्रह हजार करोड़ का कर्ज लिया जाए। भाजपा का कहना है कि राज्य को आर्थिक तंगी की ओर धकेलने का काम खुद पूर्व की कमलनाथ सरकार ने किया है।
 दरअसल सत्ता में आने के बाद सीएम शिवराज ने 27 मार्च को 750 करोड़ का कर्जा ले चुकी है। अब राज्य सरकार अपनी कर्जे की लिमिट में छूट भी चाह रही है। यह सीमा 3.5 हो चुकी है जिसे सरकार अब 4.5 करना चाह रही है। इसी बात को लेकर सियासत तेज हो गई है।
 स्वास्थ्य पर जोर दें राज्य सरकारें :
 जानकारों की मानें तो केंद्र की मोदी सरकार ने राज्य सरकारों को स्पष्ट कह रखा है कि वे पहले स्वास्थ्य मामलों पर ध्यान दें। आर्थिक मामलों में संभलकर चलने की आवश्यकता भी केंद्र ने पहले ही जता दी है। बावजूद यह भी कहा है कि बजट की कमी नहीं आने दी जाएगी।
 यह है नियम :
 नियम यह कहता है कि राज्य अपनी जीडीपी के तीन फीसदी के बराबर ही कर्ज ले सकता है। विशेष परिस्थिति में 3.5 तक हो सकता है। इस आधार पर मप्र को 34 हजार करोड़ का कर्ज मिल सकता है। अब चुकि कोरोना संकट है इसलिए राज्य सरकार चाहती है कि कर्ज लेने की सीमा में बृद्वि की जाए और यह सीमा 4.5 की जाए।
 इनका कहना है :
 एक बात समझ नहीं आ रही है कि शिवराज सरकार अपनी लिमिट से आगे जाकर कर्जा क्यों लेना चाह रही है? पैट्रोल डीजल और गैस से इतना पैसा आ रहा है कि


अतिरिक्त पैसे की आवश्यकता ही नहीं है। कर्जा ये लेंगे और भरना प्रदेश की जनता को पड़ेगा। सरकार अपने फालतू के खर्चे को रोक ले तो फिर कर्जे की आवश्यकता ही नहीं है।
 दुर्गेश शर्मा, प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस
 जब राज्य में कोरोना और लाकडाउन नहीं था तभी कमलनाथ सरकार ने सत्रह हजार करोड़ का कर्जा और चालीस हजार करोड़ का लोन लेकर राज्य को आर्थिक तंगी की ओर धकेल दिया था। सारे प्रोजेक्ट बंद कर दिए। तब कहां थी कांग्रेस? अब जबकि जीएसटी तथा अन्य राजस्व माध्यमों को भारी नुकशान हुआ है उसके बावजूद भी शिवराज सरकार संयम से काम ले रही है। जनकल्याण की कोई योजना बंद नहीं हो रही । कांग्रेस पूरे मामले एक्सपोज हो गई है , अब उसे बोलने का अधिकार नहीं है।
 रजनीश अग्रवाल, प्रदेश प्रवक्ता भाजपा