नई दिल्ली, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में 3,979 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया है। यह किसी भी वित्तीय वर्ष में एनएचएआई द्वारा किया गया सबसे अधिक राजमार्ग निर्माण है। बीते कुछ वर्षों में निर्माण की गति में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है और वित्तीय वर्ष 2018-19 में 3,380 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया गया। इसी परिपाटी को बरकरार रखते हुए वित्तीय वर्ष 2019-20 में एनएचएआई ने 3,979 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण कर 1995 में अपनी स्थापना के बाद सर्वाधिक निर्माण कार्य किया।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने महत्वाकांक्षी राजमार्ग विकास कार्यक्रम भारतमाला परियोजना की परिकल्पना की है जिसके अंतर्गत लगभग 65,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण करना शामिल है। भारतमाला परियोजना के चरण-1 में मंत्रालय ने 5 वर्षों के भीतर 5,35,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 34,800 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों के कार्यान्वयन को मंजूरी दी है। भारतमाला परियोजना के चरण-1 के दौरान एनएचएआई लगभग 27,500 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण करने के लिए अधिदेशित है।
निर्माण की गति में तेजी लाने के लिए रुकी हुई परियोजनाओं को पुन: शुरु करने तथा नई परियोजनाओं को पूर्ण करने के कार्य में तेजी लाने के लिए बड़ी संख्या में कदम उठाए गए हैं :
भूमि अधिग्रहण को सुचारु बनाना और बोलियां आमंत्रित करने से पहले भूमि के बड़े भाग का अधिग्रहण करना।
भूमि अधिग्रहण, मंजूरी आदि के संदर्भ में परियोजना की पर्याप्त तैयारी के बाद परियोजनाएं प्रदान करना।
कार्य व्याप्ति में परिवर्तन (चेंज ऑफ स्कोप-सीओएस) और समयबद्ध रूप से समय का विस्तार (ईओटी) के संदर्भ में मामलों का निपटान।
आरओबी के लिए सामान्य प्रबंध आरेख (जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग) की मंजूरी की प्रक्रिया को सरलीकृत किया गया है और उसे ऑनलाइन किया गया है।
अन्य मंत्रालयों और राज्य सरकारों के साथ निकट समन्वय बनाना।
एकमुश्त धन उपलब्ध कराना।
विभिन्न स्तरों पर नियमित समीक्षा और परियोजना के कार्यान्वयन में रुकावटों की पहचान करना/ उन्हें दूर करना।
इक्विटी निवेशकों के लिए प्रस्तावित निकास
सड़क क्षेत्र के ऋणों का प्रतिभूतिकरण
परियोजनाओं को पूरा होने में देरी को टालने के लिए विवादों निपटान तंत्र में सुधार।
रियल टाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमिरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) की स्वर्ण मानक की वर्तमान संपुष्टि प्रणाली महंगी है,ज्यादा समय लेती है और इसके लिए प्रशिक्षित श्रमबल की आवश्यकता होती है। यह नया रैपिड टेस्ट कम लागत पर अधिक प्रभावी तरीके से समस्या को प्रबंधित कर सकती है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा,“हालांकि यह पीसीआर आधारित संपुष्टि तकनीक का विकल्प नहीं है,पर एंटीबाडीज का पता लगाने पर आधारित परीक्षणों का उपयोग वैश्विक रूप से त्वरित व्यापक जांचों के लिए किया जा जा रहा है जो पीसीआर मशीनों की सीमित संख्या से कुछ बोझ को कम करेगा और अन्य बातों के अलावा कार्यनीतियों को बनाने एवं निर्णय निर्माण करने में सहायक होगा।”
एनकोवसेंसेज परीक्षण का लक्ष्य वायरल संक्रमण के उभार पर मानव शरीर में सृजित प्हळ एवं प्हड एंटीबाडीज का पता लगाना है और इसे कोविड 19 के लिए विशिष्ट बनाते हुए स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ टारगेट किया गया है।
स्टार्ट अप की योजना राष्ट्रीय एजेन्सियों से नियत सत्यापन प्राप्त करने के बाद 2-3 महीनों के समय में परीक्षण को तैनात करने की है। भविष्य में यह उन रोगियों को भी निर्धारित करने में सहायता करेगी जो रिकवर कर चुके हैं और उन्हें फ्रंटलाइन जाब निरुपित करेगी। इस परीक्षण का उपयोग हवाई अड्डों,रेलवे स्टेशनों,अस्पतालों तथा ऐसे अन्य स्थानों पर जांच करने में किया जा सकता है और इस प्रकार वे भविष्य में किसी प्रकोप से भी रक्षा कर सकते हैं।
हालांकि प्रौद्योगिकी की व्यवहार्यता सिद्ध हो चुकी है,अवधारणा का प्रमाण (पीओसी) और उत्पाद की कार्य क्षमता प्रदर्शित करते हुए प्रोटोटाइप का प्रदर्शन किया जाना अभी शेष है।