सावधान! बाजार में सिंथेटिक दूध तो नहीं खपाया जा रहा था


भोपाल। कोरोना कोविड-19 संक्रमण से देशव्यापी लॉकडाउन अवधि में दूध के कारोबार पर एक बार फिर प्रश्नचिन्ह लग गया है। मप्र ही नहीं देशभर में चाय की दुकानें, चाय के ठेले, मिठाई-चाय की होटल, रेस्टोरेंट, शादियां, पार्टियां, बर्थडे पार्टियां, आईस्क्रीम फैक्ट्रियां और पॉर्लर सहित सभी सामाजिक, राजनीतिक और सरकारी आयोजन, सामूहिक समारोह बंद हैं, जहां दूध की खपत होती थी। अब घरों में ही दूध की खपत हो रही है। दुग्ध उत्पादों की मांग भी घरों में बेहद कम हो गई हैं। खुले बाजारों में दुग्ध उत्पादों और दूध की खपत नहीं हो रही है। बाजारों में उपयोग होने वाला लाखों लीटर दूध भी गायब हो गया। लॉकडाउन के बाद इससे अचानक ग्राफ गिर गया। ऐसे में एक प्रश्न सहज ही खड़ा होता हैं कि जितना दूध और दुग्ध उत्पाद लॉकडाउन के पूर्व बाजार में खपाया जा रहा था, आखिर वर्तमान में वो दूध जा कहां रहा है। कहीं बाजारों, प्रतिष्ठानों और अन्य उपक्रमों में उपभोग होने वाला यह दूध सिंथेटिक तो नहीं था। आज दूध की बार्बादी भी नहीं हो रही है और न ही उपभोक्ताओं को सस्ते दामों में भी दूध नहीं मिल रहा है। लेकिन बाजारों में खपने वाला लाखों लीटर दूध आखिर कहां जा रहा है। क्या चाय के ठेलों, होटलों, रेस्टोरेंट, दुकानों, समारोहों आदि में लॉकडाउन के पूर्व खपत होने वाला दूध कृत्रिम या नकली तो नहीं था और यदि वह दूध शुद्ध हैं तो अब उसे कहां खपाया जा रहा है, जब बाजार में बिकने वाला दूध एकदम से बंद है। ऐसे में दो बातें हो सकती है, एक यह कि लॉकडाउन के पूर्व बाजारों में उपभोग होने वाला दूध नकली/सिंथेटिक रहा होगा जो अब बंद हो गया, दूसरा यह कि दूध वास्तव में दूध का मूल उत्पादन मौजूदा खपत के मुताबिक ही होगा जो अब भी जारी है। लेकिन खाद्य विभाग ने इसका ठीक से आंकलन ही नहीं किया। 
दूध की बिक्री
यह भी सहज बात है कि लॉकडाउन अवधि में दूध की बिक्री में कमी आई लेकिन, लेकिन मूल उत्पादन में कमी नहीं हुई हैं, इसके कारण आशंका जन्म लेती हैं कि बाजारों में आने वाला दूध सिंथेटिक ही होता था। एक बात और यह भी है कि अब तक सरकार के पास किसान संघों की तरफ से अब तक ऐसी कोई अनहोनी या दूध की बिक्री नही होने से दूध उत्पादकों और किसानों पर संकट आने जैसी कोई बात भी सामने नहीं आई है। अब सरकार को लॉकडाउन अवधि में ही यह तैयारी करना होगी कि असली उत्पादक कौन है और सिंथेटिक दूध कहां से बाजारों में आ रहा है। ताकि समय रहते लगाम लगाई जा सके।