कान्हा की शान है टाइगर मुन्ना, माथे में लिखा है CAT

कान्हा की शान है "टाइगर मुन्ना"


कान्हा का DFO है टाइगर छोटा मुन्ना


Syed Javed Ali
मंडला - कभी जिस मुन्ना की दहाड़ से पूरा जंगल खाली हो जाया करता था आज वह मुन्ना जंगल के बाहर रिहाशी इलाकों के आसपास कभी कभार नज़र आता है। एक जमाना था जब मुन्ना को देखकर जंगली जानवर अपने रास्ते बदल देते थे लेकिन अब ऐसा वक्त आ गया है कि खुद को बचाने दबंग मुन्ना जंगलों में छिपा छिपा फिर रहा है। हम बात कर रहे हैं दुनिया भर में मशहूर कान्हा नेशनल पार्क में मुन्ना नामक टाईगर की जिसने कान्हा में पिछले दस सालों में काफी शोहरत और नाम कमाया। स्वभाव से दबंग, बेजोड़ बनावट और शानदार चाल ढाल और अपने अलग अंदाज़ की वजह से मुन्ना ने देशी सहित विदेशी सैलानियों के दिलों में एक अलग जगह बनायी है। हैरत की बात यह है कि मुन्ना के माथे में कुदरती रूप से इंग्लिश का CAT शब्द लिखा हुआ है जिसे बड़ी आसानी से देखा जा सकता है। मुन्ना के माथे पर कुदरती CAT लिखा होना पार्क के अधिकारीयों को भी हैरान करता है और शायद यही वजह है कि CAT लिखे मुन्ना की कान्हा में अलग पहचान है।



दस सालों तक कान्हा के जंगलों में अपनी हुकूमत चलाने वाला दबंग मुन्ना अब उम्रदराज़ हो चला है। कभी कान्हा नेशनल पार्क के जंगलों में राजा के अंदाज़ में जीने वाला मुन्ना इतना शिकस्त हो गया है कि शिकार के लिये दूसरे जानवरों पर निर्भर है। बताया जाता है कि बूढ़े मुन्ना पर हमला कर व्यस्क बाघों ने खदेड़ दिया है। मुन्ना अभी घायल अवस्था में सुरक्षित जगह पर चला गया है। जंगल में टाईगर की औसत आयु 10 से 12 वर्ष होती है और मुन्ना की उम्र 17 वर्ष से ज्यादा हो गयी है जिसके चलते मुन्ना में पहले जैसे ताकत और फुर्ती नही रही साथ ही उसके दांत और और दाढ़ घिस गए हैं। यही वजह है कि वह शिकार करने लायक नही रह गया है। पार्क अधिकारी की मानें तो आज भी देशी और विदेशी सैलानी मुन्ना को देखने लालायित रहते हैं यूँ कहें तो मुन्ना के साथ सैलानियों एवं पार्क प्रबंधन के अधिकारी और कर्मचारियों भावनात्मक रिश्ता जुड़ गया है।


कान्हा टाइगर रिज़र्व के अनुसंधान अधिकारी डॉ. राकेश शुक्ला बताते है कि मुन्ना बाघ का सबसे विख्यात आकर्षण इस के माथे पर चेहरे की काली धारियों द्वारा बना हुआ CAT शब्द है। जैसा कि विदित है बाघ, बिल्ली प्रजाति के होते हैं एवं उन्हें कभी-कभी आम भाषा में कैट अथवा सुपरकैट भी कहा जाता है। वर्ष 2002 के जन्म के आधार पर आज मुन्ना बाघ की उम्र लगभग 17 वर्ष है जो कि किसी भी जंगली बाघ के लिये अपने कुशल अस्तित्व कौशल का शानदार उदाहरण है। समान्यतः जंगल में बाघ की उम्र लगभग 10 - 12 वर्ष ही देखी गयी है।



विगत् वर्षों में मुन्ना ने लगातार अपने सुंदर एवं बलवान शरीर, फुर्ती एवं चपलता तथा राजसीव्यवहार से अपने करोड़ों प्रशंसक का दिल जीता है। इस दौरान इसने अपने वंश में भी काफी वृद्धि की है। पर्यटकों ने इसे विभिन्न अंदाजों एवं व्यवहारों में देखा है तथा कैमरे में कैद किया है। कान्हा में रोजाना सैकड़ों की संख्या में पर्यटक आज पर्यंत मुन्ना के दीदार का सपना लेकर आते हैं। धीरे - धीरे मुन्ना की उम्र बढ़ती गयी एवं उम्र के साथ ही उसके शरीर में विभिन्न प्राकृतिक दुर्बलतायें भी आती रहीं। आज मुन्ना वृद्ध हो चुका है एवं अपनी उम्र एवं दुर्बलताओं से समझौता करते हुये अपनी जीवन शैली को भी परिवर्तित कर चुका है। अभी मुन्ना स्वस्थ है एवं सरल शिकार करता है। यह कभी - कभी बफर जोन में स्थित ग्रामों के मवेशियों का शिकार भी कर लेता है।


कान्हा टाइगर रिज़र्व के क्षेत्र संचालक एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि भारत की पचास बाघ परियोजनाओं एवं अनेक संरक्षित क्षेत्रों में विगत् अनेक वर्षों से बाघों का संरक्षण किया जा रहा है। यद्यपि सभी बाघ लगभग एक जैसे ही होते है, किंतु इन संरक्षित क्षेत्रों के कुछ बाघ संरक्षण विदों, पर्यटकों, छाया चित्रकारों एवं संरक्षणउत्साहियों के बीच अत्यंतलोक प्रिय हो जाते है। मध्यप्रदेश के मंडला एवं बालाघाट जिलों में स्थित कान्हा टायगर रिजर्व का बाघ मुन्ना एक ऐसा ही उदाहरण है। यह बाघ विगत् अनेक वर्षों से अपनी लोकप्रियता के शिखर पर है। इस दौरान इस प्रतिष्ठित प्रतीक (आयकॅन) को विभिन्न वर्गों के करोड़ों लोगों द्वारा सराहा गया है एवं छायाचित्र लिये गये हैं। मुन्ना के अनेक वीडियो भी बनाये गये है एवं यह इन्टरनेट में भी छाया हुआ है। मुन्ना का जन्म वर्ष 2002 में हुआ था एवं इसकी माँ को इन्द्री मादा बाघिन एवं पिता को लंगड़े बाघ के नाम से जाना जाता है। सामान्यतः कान्हा के अधिकारी एवं कर्मचारीगण् किसी भी बाघ को कोई नाम नहीं देते हैं किंतु इस बाघ के प्रंशसक एवं प्रेमी पर्यटकों द्वारा इसे आरंभ से ही ''मुन्ना'' नाम दे दिया गया था जो कि लगातार प्रसिद्ध होता रहा।


छोटा मुन्ना के पैर पर लिखा है “DFO” -
मुन्ना की ही तरह दस्तावेजों में टी – 29 नाम से दर्ज वयस्क बाघ छोटा मुन्ना भी सुर्खिया बटोर चुका रहा है। वैसे तो हर टाइगर अपने आप में ख़ास होता है लेकिन ये कोई आम टाइगर नहीं बल्कि बहुत ख़ास है। यह टाइगर DFO है। चौकिये नहीं हम बताते है कि यह टाइगर DFO क्यों है ? दरअसल टी – 29 नाम से शासकीय दस्तावेजों में दर्ज बाघ को क्षेत्रीय लोग, गाइड, पार्क अमला और सैलानी छोटा मुन्ना के नाम से जानते है। इस छोटा मुन्ना के पिछले हिस्से में बाएं पैर के ऊपर अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर “DFO” अंकित है। उसके शरीर पर यह DFO लिखा होना ही उसे ख़ास बनाता है। छोटा मुन्ना के पहले मुन्ना जो कि अधिकृत रूप से T – 17 के नाम से जाना जाता है, काफी मशहूर हो चूका है। मुन्ना की खासियत यह है कि उसके माथे में कुदरती रूप से इंग्लिश का CAT शब्द लिखा हुआ है जिसे बड़ी आसानी से देखा जा सकता है। जिस तरह मुन्ना के माथे पर CAT लिखा होना तो छोटा मुन्ना के पिछले हिस्से पर DFO। छोटा मुन्ना मुक्की क्षेत्र का टाइगर है। यह आत्मविश्वास से भरा एक लोकप्रिय टाइगर है जो अक्सर सैलानियों को नज़र आता रहता है।