शिवालयों में लगी भक्तों की भीड़, लगे बमभोले के जयकारे

श्रावण मास के दूसरे सोमवार को हुआ शिव अभिषेक


asish malviya
अशोकनगर। भगवान शिव की भक्ति का प्रमुख माह सावन शुरू हो चुका है और पूरे माह भर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की जाएगी। हर तरफ  बम-बम भोले और ओम नम:शिवाय की गूंज सुनाई देने लगी है। श्रावण माह के दूसरे सोमवार को श्रद्धालुओं ने मंदिरों में जाकर उमा महादेव की पूजा-अर्चना की। शहर के विभिन्न शिवालयों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं ने पहुंचकर भगवान भोले नाथ का दूध, दही, गंगाजल से अभिषेक कर उन पर बेलपत्र, फूल, धतूरा, सुगंधि आदि चढ़ाकर पारंपरिक रूप से पूजन-अर्चन किया। गौरतलव है कि सनातन धर्म में श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को भगवान भोले नाथ के पूजन-अर्चन का विशेष महत्व माना गया है। जिसके चलते सोमवार को श्रावण मास का दूसरा सोमवार होने के चलते पूरा नगर आध्यात्मिक नजर आया। इस मौके पर पुराना बाजार स्थित हजारेश्वर महादेव, राजराजेश्वर मंदिर, तारबाले बालाजी मंदिर, हनुमान मंदिर, माता मंदिर, ब्रहा्रगौड़ मंदिर, स्वामी जी की बगिया स्थित पंचमुखी महादेव मंदिर सहित सभी शिवालयों में भक्तों का तांता लगा रहा। इस दौरान भगवान भोले नाथ एवं माता पार्वती का आकर्षक श्रृंगार भी किया गया। वहीं मंदिरों के साथ-साथ घरों में भी भगवान शिव के अभिषेक किए गए, वहीं महिलाओं-पुरूषों, युवक-युवतियों ने उपवास रखकर भगवान भोले नाथ की आराधना की। वहीं कुवांरी युवतियों ने मनवांछित वर प्राप्ति के लिए शिव की आराधना की। शाम के समय मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा। महिलाओं ने भक्तिगीत गाकर शिव आराधना की। 


सोमवार के व्रत को मनोवांछित पति की कामना पूर्ति के लिये भी कन्याओं के द्वारा किया जाता है। शिव की आराधना और आशिर्वाद प्राप्त करने के लिये उपवास करने का विशेष महत्व कहा गया हैं। मुख्य रूप से यह व्रत परिवार और समाज को समर्पित है। इसके अतिरिक्त यह व्रत प्रेम, आपसी विश्वास, भाई चारे और मेलजोल के साथ जीवन जीने का संदेश देता है। शिव व्रतों में सोमवार के व्रत को सबसे उतम माना गया है। यह व्रत स्त्री और पुरूष दोनों रख सकते है। इस व्रत को अविवाहित कन्याएं वैवाहिक जीवन की सुख-शान्ति के लिये करती है, तो सोलह सोमवार का व्रत सौभाग्यवती स्त्री अपने पति की लम्बी आयु, संतान रक्षा के साथ-साथ अपने भाई की सुख-सम्रद्धि के लिये भी करती है।


पुरूष इस व्रत को संतान प्राप्त, धन-धान्य और प्रतिष्ठा के लिये कर सकते है। सोमवार व्रत का नियमित रूप से पालन करने से भगवान शिव और देवी पार्वती की अनुकम्पा बनी रहती है। जीवन धन-धान्य से भरा रहता है और व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। सावन सोमवार व्रत का विधार्थी के लिए बहुत महत्व हैं। इस व्रत को रखने से विधार्थी के ज्ञान में वृद्धि होती हैं। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में चन्द्र पीडित हों या फि र चन्द्र अपने शुभ फ ल देने में असमर्थ हों उन व्यक्तियों को चन्द्र ग्रह की शान्ति के लिये सावन सोमवार के व्रत का पालन करना चाहिए। निराशावाद व मानसिक सुखों में वृद्धि के लिये भी इस व्रत को करना लाभकारी रहता है। चन्द्र ग्रह के देव भगवान शिव है। क्योंकि भगवान शिव ने चन्द्र को अपने सिर पर धारण किया हुआ है। माता के स्वास्थय व मातृ सुख को प्राप्त करने के लिये भी इस व्रत को किया जा सकता है।