अस्पताल प्रशासन कर रहा कलेक्टर के आदेश की अवहेलना, वार्डों में अटेंडरों की हो रही भीड़

सिविल सर्जन बोले मानते नहीं अटेंडर तो हम क्या करें। 
awdhesh dandotia
मुरैना। कोरोना वायरस जिले में पांव न फैला सके इसके लिए तहतियात बरती जा रही है। प्रशासन ने जिला अस्पताल में भी कई तरह की व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए हैं। लेकिन सिविल सर्जन डॉ. अशोक गुप्ता ने कलेक्टर के निर्देशों को हवा में उड़ा दिया है। महामारी बने कोरोना को जिला अस्पताल प्रशासन ही गंभीरता से नहीं ले रहा। 


कलेक्टर द्वारा आदेश जारी किए गए थे कि अस्पताल के वार्डों में भीड़ एकत्रित न होने दी जाए। एक मरीज के साथ एक ही अटेंडर नजर आना चाहिए। इसके अलावा रजिस्ट्रेशन विंडो पर भी मरीजों के बीच दूरी बनाए रखने के भी निर्देश दिए गए थे। कलेक्टर ने दो दिन पहले अस्पताल पहुंचकर ये निर्देश दिए तब तो सिविल सर्जन सहित अन्य अधिकारियों ने इनका पालन करने की हामी भर ली। लेकिन कलेक्टर के अस्पताल से जाते ही अस्पताल प्रशासन लापरवाही बरतने लगा। हर वार्ड में अटेंडरों की भीड़ देखी जा रही है। मरीज के पलंग पर कई अटेंडर भीड़ लगाए बैठे हैं। साथ ही रजिस्ट्रेशन विंडो पर भी खासी भीड़ है। सिविल सर्जन डॉ. अशोक गुप्ता भी इस भीड़ को देख रहे हैं लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी से यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि अटेंडर को समझाइस दी गई लेकिन वह समझने को तैयार नहीं तो हम क्या कर सकते हैं। यहां बता दें कि अस्पताल में सुरक्षा गार्डों का भी इंतजाम है। जिनके जरिए व्यवस्था बनाई जा सकती है। लेकिन अस्पताल के अधिकांश डॉक्टरों को अपने निजी क्लीनिकों पर जाने की जल्दी होती है। इसलिए वह अस्पताल में आकर खानापूर्ति के बाद निजी क्लीनिकों पर चले जाते हैं।


आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर दिए मरीज : 
कोरोना वायरस को देखते हुए जिला अस्पताल मे आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। इसलिए कि कोरोना से ग्रसित कोई मरीज आता है तो उसका तत्काल आइसोलेशन किया जा सके। लेकिन जिला अस्पताल के डॉक्टर मनमानी पर उतारू हैं। बीते रोज अस्पताल के एक डॉक्टर ने किसी अन्य बीमारी के मरीज को सुविधा देने के लिए आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर दिया। लोगों ने आपत्ति जताई तो डॉक्टर ने यह कहकर सफाई दी कि मरीज ज्यादा बीमार था और अन्य कोई वार्ड खाली नहीं था इसलिए उसे आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर दिया गया था। जबकि खबर यह है कि उक्त मरीज संबंधित डॉक्टर के निजी क्लीनिक पर दिखाने गया था इसलिए उसे सुविधा देने के लिए डॉक्टर ने आइसोलेशन वार्ड का इस्तेमाल किया। खास बात यह है कि सिविल सर्जन सहित अन्य अधिकारियों ने इस पर आपत्ति जताना जरूरी नहीं समझा। 
वर्जन : 
अटेंडरो को समझाइस दी जाती है कि वह वार्डों में भीड़ न लगाएं। अब वह मानते ही नहीं हैं तो हम क्या कर सकते हैं। 
डॉ.अशोक गुप्ता, सिविल सर्जन