ढूंढे नहीं मिल रहे होली न मनाने की घोषणा करने वाले विधायक, ओलापीडि़त किसान परेशान

विधायकों ने लिखित में दे दिया है विधायकी से त्याग-पत्र, जयपुर व बैंगलोर रिसोर्ट में डाला डेरा। 
राजनैतिक अस्थिरता के कारण प्रशासन भी पशोपेश में। 


awdhesh dandotia
मुरैना। किसानों को ओला से दु:खी देखकर होली न मनाने की घोषणा करने वाले विधायक अब ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। जिले में एक भी विधायक मौजूद नहीं है। किसी का भोपाल में डेरा है तो कोई जयपुर बैठ गया है जबकि मुरैना जिले के अधिकांश विधायक बैंगलोर के रिसोर्ट में पहुंचकर अपनी विधायकी लिखित में त्याग चुके है। सरकार को लेकर चल रही इस खींचतान में अब किसान भी फिलहाल मुआवजा मिलने की उम्मीद खो चुके हैं। क्योंकि प्रदेश में जो घट रहा है वह न्यूज चैनल, वाट्सएप ग्रुप व अन्य माध्यमों से हर किसी के सामने हैं। हालांकि प्रशासनिक अधिकारी अभी खामोश हैं लेकिन राजनैतिक अस्थिरता के दौर में वह सरकारी कामकाज ठीक से नहीं कर पा रहे हैं और इसलिए ओलापीडि़तों का सर्वे कार्य खटाई में पड़ गया है। 
अंबाह, दिमनी, मुरैना व सुमावली क्षेत्र के ओलापीडि़त किसानों को आपदा की इस घड़ी उन जनप्रतिनिधियों का भी सहारा नहीं है जिन्हें वोट देकर वह विधानसभा के लिए चुना गया था। क्योंकि वह अपने आका के लिए विधायकी छोडऩे की घोषणा कर चुके हैं। मध्यप्रदेश सरकार में चल रहे अस्थिरता के दौर में भाजपा व कांग्रेस दोनों ने ही विधायकों की घेराबंदी की है जिसमें मुरैना जिले के सभी विधायक शामिल हैं। पता चला है कि कुछ विधायक जयपुर के होटलों में मजे कर रहे हैं तो कुछ ने अपनी होली बैंगलोर के रिसोर्ट में मनाई। उन्हें आपदा पीडि़त किसानों की कतई परवाह नहीं है। इस परिस्थिति में ओलापीडि़त किसान मारे-मारे घूम रहे हैं। यहां बता दें कि अभी हाल ही में मुरैना जिले कई गांवों में ओलावृष्टि हुई थी जिसमें रबी सीजन की गेंहू, सरसों व अरहर की फसल नष्ट हो गई है। ओलावृष्टि के बाद प्रशासन ने सर्वे कार्य शुरू कराया लेकिन सरकार को लेकर चल रही खींचतान के कारण प्रशासन भी अब खामोश बैठ गया है। उधर विधायकों ने भी केवल इतना कहकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है कि वह किसान दुखी हैं इसलिए होली नहीं मनाएंगे। अब जयपुर व बैंगलोर के रिसोर्टे में उन्होंने होली मनाई या नहीं यह तो वह खुद ही बता सकते हैं। विधायकों द्वारा होली न मनाए जाने के बयान को देखकर किसान यह कहते नजर आ रहे हैं कि होली मनाने या न मनाने से हम बर्बाद किसानों का क्या फायदा हो सकता है। हमें तो केवल मुआवजे की जरूरत है ताकि नुकसान की भरपाई कर परिवार भरण-पोषण कर सकें।



ओला ने कर दिया बर्बाद : 
हमने 30वीघा जमीन में सरसों व गेंहू की बोवनी की थी। लेकिन ओले ने सब बर्बाद कर दिया। एक दिन पटवारी आए थे, उन्होंने कैसे और क्या सर्वे किया है इसके बारे में हमें पता नहीं। हमारे विधायक मिल नहीं रहे हैं। ऐसे में नुकसान का मुआवजा कैसे मिल पाएगा। हम मदद के लिए कहां जाएं इसको लेकर परेशान हैं। 
रामलखन डंडौतिया, इमलिया


जनप्रतिनिधि देखने भी नहीं आए : 
दस वीघा जमीन में से तीन वीघा जमीन में सरसों व सात वीघा में गेंहू उगाया था। लेकिन ऐन वक्त पर ओला गिरने से फसल नष्ट हो गई। अधिकांश फसल बर्बाद हो गई है। लेकिन कोई भी जनप्रतिनिधि हमारे यहां नहीं आए हैं। विधायक का वीडियो सुनने को मिला जिसमें उन्होंने होली न मनाने की बात कही थी अब उनके होली न मनाने से हमें कौनसा मुआवजा मिल जाएगा। हम नष्ट फसल के मुआवजा के लिए परेशान हैं। 
रामवरन कुशवाह, गंजरामपुर


वर्जन :
सर्वे की स्थिति देखकर बताएंगे :
होली का अवकाश होने के कारण हम देख नहीं पाए हैं कि जिले में ओला प्रभावित इलाके की सर्वे स्थिति क्या है। आज रिपोर्ट मंगाकर देखेंगे तब ही इस संबंध में बता पाएंगे कि सर्वे में क्या स्थिति सामने आई है। 
प्रकाशचंद पटेल, उपसंचालक किसान कल्याण, मुरैना