मप्र की सियासी उठापटक के पीछे कौन?


भोपाल। लगभग 14 महिने बाद मप्र की राजनीति में अचानक उठे सियासी उठापटक के पीछे आखिर क्या वजह है या किसका हाथ है? राज्यसभा चुनाव, दिग्विजय सिंह या कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति? अगर पूरे घटनाक्रम पर गौर करें तो दिग्विजय सिंह केंद्र बिंदु में हैं। सबसे पहले दिग्विजय ने ही भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया। उसके अगले दिन कांग्रेस और उसको समर्थन देने वाले 10 विधायक दिल्ली पहुंचते हैं और इसकी खबर केवल दिग्विजय सिंह को ही लगती है।


इसके बाद वे देर रात सक्रिय रहे और कमलनाथ सरकार के लिए संकटमोचक बनकर खड़े दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने तत्काल अपने मंत्री पुत्र जयवर्धन सिंह और अपने करीबी जीतू पटवारी को दिल्ली बुलाकर गुरूगाम भेजते हैं और बागियों की घेराबंदी कराते हैं। यही नहीं जो विधायक बागी हुए थे उनमें सबसे अधिक दिग्विजय समर्थक ही हैं। राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा भी दिग्विजय के ही करीबी हैं, जिन्होंने यह कहा है कि अगर मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष अलग-अलग व्यक्ति होते तो यह घटना नहीं होती। भाजपा शुरू से ही इस ड्रामे को लेकर दिग्विजय सिंह पर आरोप लगा रही है। भाजपा का कहना है कि यह सब उनके ही दिमाग की उपज है। भाजपा जो बात शुरुआत से ही कह रही थी, उसी बात को अब वन मंत्री उमंग सिंघार ने दोहराई है। दिग्विजय सिंह और वन मंत्री उमंग सिंघार के बीच रिश्ते कैसे हैं, यह किसी से छिपी नहीं है। सियासी ड्रामे के बीच सिंघार ने ट्वीट कर लिखा है कि माननीय कमलनाथ जी की सरकार पूर्ण रूप से सुरक्षित है। यह राज्यसभा में जाने की लड़ाई है, बाकी आप सब समझदार हैं। सिंघार ने अपने ट्वीट में किसी भी नेता का नाम नहीं लिखा है। लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने इशारों-इशारों में दिग्विजय सिंह पर हमला किया है। क्योंकि कांग्रेस में अभी राज्यसभा जाने के लिए दो ही लोग प्रबल दावेदार हैं। एक दिग्विजय सिंह और दूसरे ज्योतिरादित्य सिंधिया। सिंधिया के समर्थक उन्हें राज्यसभा भेजने के लिए खुलकर मांग कर रहे हैं लेकिन दिग्विजय सिंह के लिए कोई लॉबिंग नहीं हो रही थी। भाजपा का आरोप है कि उन्होंने अपनी उपयोगिता साबित करने लिए ये सब कुछ किया है।


सियासी ड्रामा क्यों?
अगर इस पूरे घटना क्रम को सियासी ड्रामा माना जाए तो इसकी पहली वजह आगामी राज्यसभा चुनाव और दिग्विजय सिंह को बताया जा रहा है। राज्य की तीन सीटों के लिए अप्रैल में चुनाव होने हैं। इसमें से दो सीटें कांग्रेस के खाते में जा सकती हैं। एक सीट से दिग्विजय ही सांसद हैं। सूत्रों के मुताबिक इस बार कमलनाथ, दिग्विजय की जगह किसी और को टिकट देने के बारे में सोच रहे थे, इसलिए दिग्विजय उन्हें डराने के लिए यह पावर पॉलिटिक्स दिखा रहे हैं। दूसरी वजह यह बताई जा रही है कि राज्यसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को एक-सीट मिलनी तय है। इसलिए दिग्विजय सिंह चाहते हैं कि पार्टी उन्हें सुरक्षित सीट ही दे। ताकि यदि राज्यसभा चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग हो भी तो उन पर कोई खतरा न हो।