मप्र में ऑपरेशन लोटस फेल!

-सीए बोले: माफिया के साथ मिलकर भाजपा ने की सरकार को अस्थिर करने की असफल कोशिश
- 4 विधायक अब भी भाजपा के कब्जे में
-जायसवाल बोले: सरकार के साथ लेकिन नई सरकार को समर्थन का विकल्प खुला
— कांग्रेस के तराना विधायक का आरोप, मुझे भी मिला 35 करोड़ का प्रस्ताव
बागी विधायकों में 3 दिग्विजय सिंह के करीबी, 2 मुख्यमंत्री कमलनाथ से नाराज, 1 सिंधिया खेमे के



भोपाल/नई दिल्ली। मप्र में कर्नाटक की तर्ज पर सरकार गिराने का भाजपा का ऑपरेशन लोटस फिलहाल फेल हो गया है। कांग्रेस का आरोप है कि कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने को लेकर भाजपा ने 10 विधायकों को पाला बदलने के लिए 35 करोड़ रुपए का ऑफर दिया था। हालांकि, दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि इनमें से 6 विधायकों को भाजपा के कब्जे से मुक्त करा लिया गया है। अब सिर्फ 4 विधायक ही भाजपा के पास हैं। दो दिन से चल रहे सियासी ड्रामें पर बुधवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ का बयान आया है कि माफिया के साथ मिलकर भाजपा प्रदेश की कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने का असफल प्रयास कर रही है।


दरअसल, सोमवार सुबह से मध्यप्रदेश में शुरू हुआ सियासी ड्रामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। दिग्विजय सिंह के आरोप के बाद शुरू खेल मंगलवार देर शाम अचानक से सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी करता हुआ नजर आया। भाजपा नेताओं ने 17 विधायकों का समर्थन होने का दावा किया और उनमें से तथाकथित तौर पर 10 विधायकों को दिल्ली बुला लिया। मंगलवार देर रात से भाजपा पर दिल्ली में विधायकों को बंधक बनाने के आरोप लगाती कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने दिल्ली पहुंचकर दावा किया कि उनके 10 में से 6 विधायक वापस आ गए हैं। हालांकि  4 विधायक अभी भी भाजपा के कब्जे में हंै। इस बीच कांग्रेस के तराना से विधायक महेश परमार ने भी आरोप लगाया है कि उन्हें खुद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 35 करोड़ रुपए और मंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया था। फोन पर दो बार संपर्क किया गया था।
-ये विधायक भाजपा के संपर्क में थे
कांगे्रस के आरोपों के अनुसार निर्दलीय विधायक सुरेन्द्रसिंह शेरा, बसपा विधायक रामबाई, सपा विधायक राजेश शुक्ला, कांग्रेस विधायक एंदलसिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह, हरदीपसिंह डंग, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव, गिरिराज दंडोतिया समेत -10 विधायक हैं। इनमें से 6 विधायकों के वापस लौटने का दावा है।


-भाजपा को है भय: कमलनाथ
कमलनाथ ने कहा कि दरअसल भाजपा को भय है कि किसानों की कर्जमाफी, बेरोजगारों को रोजगार देने की कोशिशें, प्रदेश में बढ़ता निवेश, लोगों की आस्थाओं के सम्मान से उसका जनाधार निरंतर खिसक रहा है। वह भयभीत है कि आने वाले 5 साल में कांग्रेस सरकार अपनी उपलब्धियों से जनता का पुन: विश्वास हासिल करेगी। कमलनाथ ने कहा है कि भाजपा लोकतंत्र व संवैधानिक मूल्यों की हत्या कर मध्यप्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता के जनादेश का अपमान कर सत्ता में आने के लिये छटपटा रही हैं। कांग्रेस सरकार के पास पूरा बहुमत है। यह हमने विधानसभा में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के चुनाव में, बजट को पारित कराने में साबित किया है।
- चार्टर्ड प्लेन से चार विधायक आए भोपाल
कांग्रेस के चार विधायक भोपाल पहुंच गए हैं। मंत्री जीतू पटवारी चार्टर्ड प्लेन से उन्हें लेकर भोपाल पहुंचे। आरोप है कि भाजपा ने इन चारों विधायकों को बंधक बनाकर रखा था। विधायकों के स्टेट हैंगर पहुंचने से पहले भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया था। विधायक राजेश शुक्ला, संजीव सिंह कुशवाह, एंदल सिंह कंसाना को लेकर जीतू पटवारी और तरुण भनोत भोपाल पहुंचे।
-चार विधायक अब भी लापता
कांग्रेस के चार विधायक अब भी लापता हैं। उनके बैंगलुरू में होने की सूचना मिल रही है। इनमें हरदीप सिंह डंग, बिसाहूलाल सिंह, सुरेंद्र सिंह शेरा शामिल हैं।


-यह राज्यसभा में जाने की लड़ाई है: उमंग सिंघार


सियासी ड्रामे के बीच वन मंत्री उमंग सिंघार ने ट्वीट कर लिखा है कि माननीय कमलनाथ जी की सरकार पूर्ण रूप से सुरक्षित है। यह राज्यसभा में जाने की लड़ाई है, बाकी आप सब समझदार हैं। सिंघार ने अपने ट्वीट में किसी भी नेता का नाम नहीं लिखा है। लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने इशारों-इशारों में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पर हमला किया है। क्योंकि कांग्रेस में अभी राज्यसभा जाने के लिए दो ही लोग प्रबल दावेदार हैं। एक दिग्विजय सिंह और दूसरे ज्योतिरादित्य सिंधिया।


-नई सरकार को समर्थन का विकल्प खुला: जायसवाल
खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने भाजपा को समर्थन देने के बारे में विकल्प खुला रखने की बात कही है। उन्होंने कहा कि वह कमलनाथ के साथ हैं। लेकिन अगर सरकार गिरती है तो वह नई सरकार में शामिल होने का विकल्प खुला रखेंगे।


-सिंधिया की शांति
सबसे बड़ा सवाल ज्योतिरादित्य सिंधिया की शांति पर उठ रहे हैं। सरकार के संकट में होने के बाद भी अभी तक उन्होंने सामने आकर कोई सक्रियता दिखाने की कोशिश नहीं की है। उनके खेमे के तीन मंत्री भी पूरे घटनाक्रम से दूरी बनाए हुए हैं। हालांकि तीन मंत्रियों ने आपस में मुलाकात जरूर की है। लेकिन इसमें क्या बात हुई है...इसको लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं हुआ है।
-सिंधिया समर्थक मंत्रियों ने अलग से की बैठक
मुख्यमंत्री निवास में सीएम कमलनाथ ने मंत्रियों के साथ चर्चा की, लेकिन बैठक में सिंधिया समर्थक मंत्री नदारद रहे।  सीएम हाउस में बैठक होने से पहले सिंधिया समर्थक मंत्रियों राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट नहीं पहुंचे की राजस्व मंत्री के निवास पर बैठक हुई।


-कांग्रेस ने दी फ्लोर टेस्ट की चुनौती
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा को फ्लोर टेस्ट की चुनौती देते हुए कहा कि हिम्मत हो तो दिल्ली-बैंगलुरु से भोपाल आकर फ्लोर टेस्ट कराएं। हम भी तैयार हैं। यदि भाजपा ने तोडफ़ोड़ को ही अपनी नीति बना दिया है तो भाजपा के विधायक भी हमारे संपर्क में हैं। हम फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं।
-नरोत्तम मिश्रा का कथित वीडियो वायरल
नरोत्तम मिश्रा का कथित वीडियो दिल्ली के मध्यप्रदेश भवन के रूम नंबर 203 का बताया जा रहा है, जिसमें वे आनंद राय से विधायकों के बारे में कह रहे हैं कि एक बार आ जाओगे तो राज करोगे। इसमें आनंद कहते हैं कि सिर्फ एक एमएलए से क्या होगा तो नरोत्तम कह रहे हैं कि जहां तक मेरी जानकारी है 2-3 तो तुम पर ही हैं। मेरे पास 3-4 कांग्रेस के ही हैं। वीडियो में यह भी कहा जा रहा है कि जैसे ही विधायकों को कहा जाएगा वे असेंबल कर देंगे और गवर्नर से बात कर  कल ही शपथ ग्रहण करवा देंगे। राय पूछ भी रहेे हैं कि एमएलए को पहले रिजाइन करना पड़ेगा। इस पर मिश्रा ने कहा कि पहले मिनिस्टर बनाएंगे, फिर  लोकसभा लड़ाना है या विधानसभा  बाद में तय करेंगे।
-असंतोष का परिणाम: तन्खा
राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि सरकार को इस विद्रोह की जानकारी पहले से थी और यह सब कुछ असंतोष के कारण हो रहा है। यदि पार्टी मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अलग-अलग बना देती तो ऐसे हालात नहीं होते।
-सीएम के लिए उलझे शिवराज और नरोत्तम
सूत्र बताते हैं कि सीएम की कुर्सी को लेकर शिवराज और नरोत्तम की आपसी रस्साकसी के चलते भाजपा का फुल प्रूफ प्लान चौपट हो गया। बताया जाता है कि मप्र सरकार को गिराने के लिए नरोत्तम मिश्रा को आगे किया गया और उन्हें विधायकों को लाने का काम सौंपा गया। वे 10 विधायक लेकर पहुंचे लिए शिवराज के दिल्ली पहुंचते ही सीएम की कुर्सी का घमासान शुरू हो गया। नरोत्तम का कहना था किबागी विधायक जिसके साथ उसे ही बनाएं मुख्यमंत्री। आखिरी मौके पर भाजपा के रणनीतिकारों में पाला खिंचा और विधायक छोड़ दिए गए।