वर्षो बाद भी नहीं बन सका जला हुआ उपस्वास्थ्य केन्द्र

भयंकर बीमारी के प्रकोप के बाद भी ग्रामीणों की स्वास्थ्य सेवाएं क्षीण
शासन, प्रशासन, पंचायत सहित जनप्रतिनिधि नहीं दे रहे ध्यान
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र केे बीएमओ भी नहीं ले रहे रूचि
(राकेश यादव)
जुन्नारदेव - ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भगवान ही मालिक है। वर्तमान में ग्रामीण अंचलों में ग्रामीणों की जान से लगातार झोलाछाप खिलवाड़ करते नजर आ रहे है तो वहीं इस ओर स्वास्थ्य विभाग आंख मंूदे बैठा है। जुन्नारदेव नगर की समीपस्थ ग्राम पंचायत जुन्नारदेव विषाला में भी वर्तमान में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ग्रामवासी तरसते नजर आ रहे है जिसका प्रमुख कारण लगभग 03 वर्षो से भी अधिक समय पूर्व शाॅट सर्किट से जलकर खाक हुये उपस्वास्थ्य केन्द्र का अब तक जीर्णोद्धार न होना है। गौरतलब हो कि लगभग 03 वर्ष पूर्व जुन्नारदेव विषाला के उपस्वास्थ्य केन्द्र में भीषण आग लग जाने के कारण यह उपस्वास्थ्य केन्द्र पूरी तरह जलकर खाक हो गया था। पूर्व में जुन्नारदेव विषाला के ग्रामीण इसी उपस्वास्थ्य केन्द्र मंे ईलाज कराते थे किन्तु तीन वर्ष की लंबी अवधि बीत जाने के बाद भी अब तक स्वास्थ्य विभाग कुंभकरणीय नींद में सोया हुआ है और प्रषासन भी इस बात से अनभिज्ञ है। फिलहाल ग्रामीणजन स्वास्थ्य संबंधी समस्या से जूझ रहे है और गंभीर बीमारी पर भी ग्रामीण तीन किलोमीटर दूर नगर मुख्यालय की ओर दौड़ लगाने को विवष है जहां पर ग्रामीणों को अपने ही ग्राम में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं भी नहीं मिल पा रही है। 


भयंकर बीमारी के प्रकोप पर भी ग्रामीणों को नहीं मिल रहा स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ - ग्राम पंचायत जुन्नारदेव विषाला के ग्रामीणों को भयंकर बीमारी के प्रकोप पर भी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ प्राप्त नहीं हो रहा है ऐसे में कई बार ग्रामीण अपनी बीमारी को गंभीर होने की राह देखते रहते है उसके बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की ओर कदम बढ़ाते है। इन गरीब ग्रामीणों को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जहां पर बच्चे, बूढ़े या जवान सभी सड़क मार्ग से पैदल ही सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचते है। 


गर्भवती और गर्भधात्री महिलाओं को भी नहीं मिल रही उपस्वास्थ्य केन्द्र की सुविधाएं - जहां एक ओर शासन प्रषासन द्वारा गर्भवती और गर्भधात्री महिलाओं को अनेकों सुविधाएं ग्राम में ही उपलब्ध कराने के नियम बनाये गये है इसके लिए ग्राम के उपस्वास्थ्य केन्द्र में सम्पूर्ण सेवाएं उपलब्ध कराने के दावें भी शासन प्रषासन द्वारा किये जाते है किन्तु इन सब नियमों और योजनाओं का माखौल तब उड़ता है जब ग्राम में उपस्वास्थ्य केन्द्र ही नहीं है और गर्भवती और गर्भधात्री महिलाएं तीन किलोमीटर दूर पैदल पहुंचकर अपना ईलाज और जांच कराने को विवष है। 
बीएमओ नहीं ले रहे रूचि, ग्रामीणों को नहीं मिल रहा उपस्वास्थ्य केन्द्र का लाभ-- इस पूरे मामले में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के बीएमओ द्वारा रूचि न लिये जाने के चलते उपस्वास्थ्य केन्द्र बीते तीन वर्षो से जली हुई अवस्था में ही पड़ा हुआ है। ग्रामीणों द्वारा पंचायत सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के बीएमओ को भी उपस्वास्थ्य केन्द्र के जले होने के उपरांत इसे ठीक कराने के लिए बार-बार अवगत कराया गया है किन्तु साहब के रूचि न लेने से कई ग्रामीणों को जान का संकट उत्पन्न हो रहा है। ग्रामीणों ने शीघ्र ही उपस्वास्थ्य केन्द्र के पुर्ननिर्माण की मांग शासन, प्रषासन, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के बीएमओ सहित जिला चिकित्सा अधिकारी से की है।