भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोरोना संकट के इस दौर में न्यायालयों के बंद होने से हमारे बहुत से अधिवक्ताओं को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उनको सहायता पहुंचाने के उद्देश्य से मप्र अधिवक्ता सहायता योजना बनाई गई है। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया है कि इस योजना के लिए निर्धारित कोष की सीमा को एक करोड़ रुपए से बढ़ाकर दो करोड़ रुपए कर दिया जाए, जिससे हम अधिक से अधिक जरूरतमंद अधिवक्ताओं को इस योजना का फायदा दे सकें। सीएम चौहान मंत्रालय में मप्र अधिवक्ता सहायता योजना के संबंध में गठित न्यासी समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा यह प्रयास रहेगा कि अधिक से अधिक जरूरतमंद अधिवक्ताओं को इस योजना का लाभ मिल सके। इसके लिए उन्होंने प्रस्तावित योजना में पात्र अधिवक्ताओं की संख्या को दोगुना किए जाने के निर्देश दिए। योजना में किसी बार एसोसिएशन में अधिवक्ताओं की संख्या 25 से अधिक किंतु अधिकतम 100 तक होने पर योजना में पात्र अधिवक्ताओं की सख्ंया 5 रखी गई थी, जिसे मुख्यमंत्री ने 10 किए जाने के निर्देश दिए। कोरोना वायरस के प्रसार के कारण अधिवक्ताओं को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अत: कमजोर आर्थिक स्थिति वाले अधिवक्ताओं को दैनिक जीवन निर्वाह के लिए आर्थिक सहायता देने के उद्देश्य से मप्र अधिवक्ता सहायता प्राकृतिक आपदा एवं अप्रत्याशित परिस्थिति योजना-2020 बनाई गई है। यह योजना मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद द्वारा नामांकित अधिवक्ताओं पर लागू होगी। पात्र अधिवक्ता को किसी विशेष परिस्थिति में यह राशि देय होगी, जिसे अधिवक्ता परिषद की सलाह पर ही समिति समय-समय पर निर्धारित करेगी। किसी परिस्थिति विशेष में यह राशि 5000 से अधिक नहीं होगी।
यह होगी आवेदन प्रक्रिया:
योजना में अधिवक्ता सदस्य अपने आवेदन मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद को संबोधित कर जिला/तहसील अधिवक्ता संघ को प्रस्तुत करेंगे। संबंधित जिला/तहसील अधिवक्ता संघ द्वारा आवेदन-पत्र का परीक्षण करने के बाद अनुशंसा सहित आवेदन-पत्र राज्य अधिवक्ता परिषद को स्वीकृति के लिए प्रेषित किए जाएंगे। महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हिस्सा लिया।
अधिवक्ता सहायता योजना कोष की राशि हुई दोगुनी