कोरोना संकट में उजागर हो रही है समाज की बद्सूरत तस्वीर

चार-चार बेटे लेकिन  सभी ने अपने बूढे दिव्यांग माता पिता को भूखों मरने छोड़ा


khemraj mourya
शिवपुरी। कोरोना संकट के दौरान एक ओर जहां समाजसेवी अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए जरूरतमंदों को राशन, भोजन, पानी और राहत सामग्री उपलब्ध कराकर अपने सामाजिक दायित्व की पूर्ति कर रहे हैं। वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके कर्मो से समाज की एक बुरी छवि दृष्टिगोचर हो रही है। कल जिला मुख्यालय में नगर पालिका में भूख से तड़पते विकलांग बुजुर्ग दम्पत्ति राशन की आस में पहुंचे। जहां उन्होंने बताया कि उनके चार-चार बेटे हैं। लेकिन संकट के इस दौर में उन्होंने अपने माता पिता को मरने के लिए छोड़ दिया है। वह भूखे हैं तथा उन्हें कई दिनों से भोजन नहीं मिला। नगर पालिका ने भी इस दम्पत्ति की सहायता करने के लिए हाथ खड़े कर दिए। बाद में जिला पंचायत सीईओ ने बुजुर्ग दम्पत्ति को 10 किलो आटे की थैली देकर कहा अभी फिलहाल यह हैं, आगेे और मदद करेंगे। 
दिव्यांग माखन सिंह की सबसे बड़ी बीमारी यह है कि वह बुजुर्ग हैं और उन्हें आंखों से भी कम दिखाई देता है तथा कान भी उनका साथ छोड़ चुके हैं। उनकी पत्नी भी बीमारी से ग्रसित रहती है। बुजुर्ग दम्पत्ति के एक नहीं चार-चार बेटे हैं। लेकिन चारों बेटों ने उनका साथ छोड़ दिया है। ऐसे में वह भीख मांगकर अपना पेट भरते हैं। परंतु लॉकडाउन के कारण उन्हें भीख भी नहीं मिल रही। इसी कारण राशन की तलाश करते हुए वह नगर पालिका पहुंचे।