विधानसभा के पास विधायकों के पांच हजार सवाल लंबित 

कांग्रेस सरकार गिरने से विधायकों के सवाल रह गए अधूरे


भोपाल। प्रदेश में अचानक हुए सत्ता परिवर्तन ने विधानसभा सचिवालय के सामने अजीब मुसीबत खड़ी कर दी है। इसकी वजह है कांग्रेस सरकार का अचानक सत्ता से बेदखल होना और भाजपा की सरकार बनना। विधानसभा सचिवालय के पास विधायकों के 5315 सवाल लंबित हैं। इन सवालों के उत्तर दिया जाना है। सत्ता बदलने के बाद विधानसभा सचिवालय उन नियमों को तलाश रहा है, जिससे की इस तरह की परिस्थितियों में उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी मिल सके। दरअसल जिन विधायकों ने यह सवाल पूछे थे, उनमें से कुछ की विधायकी जा चुकी है। यही नहीं जिन मंत्रियों को उत्तर देना थे, वे अब मंत्री नहीं रह गए हैं। गौरतलब है कि प्रदेश के इतिहास में शायद यह पहली बार हुआ है कि जब विधानसभा सत्र के चलते सरकार गिरने से विधायकों के सवाल अधूरे रह गए। उल्लेखनीय है कि फरवरी माह में बजट सत्र की अधिसूचना जारी होते ही विधायकों ने सचिवालय को लिखित सवाल भेजना शुरू कर दिए थे। 16 मार्च को सत्र शुरू हुआ, लेकिन इनके उत्तर सदन में आ पाते उसके पहले ही कमलनाथ सरकार गिर गई। नई सरकार का गठन होते ही लॉकडाउन हो गया। ऐसे में इन सवालों पर कोई निर्णय नहीं हो पाया।
लॉकडाउन के बाद स्पष्ट होगी स्थिति
सत्ता बदलने तक विधानसभा सचिवालय को मिले सवाल सरकार को भेज दिए गए थे, इसके बाद आए सवाल रोक लिए गए। कार्य संचालन नियमों में कोई स्पष्ट उल्लेख न होने की वजह से लोकसभा के नियमों का सहारा लिया जाएगा। हालांकि, विधानसभा सचिवालय ने विभागों को लॉकडाउन के बाद सुविधानुसार जवाब भेजने के निर्देश दे दिए हैं।
अब तक यह होता रहा
विधानसभा सत्र यदि बीच में समाप्त हो जाए तो विधायकों के शेष रहे सवालों के जवाब अगले सत्र में लिखित उत्तर के रूप में दे दिए जाते हैं, लेकिन इस बार की स्थिति अलग है। क्योंकि, सरकार नई बनी है और सवाल पूछने वाले कई विधायक अब मंत्री बन जाएंगे और जिन्होंने मंत्री के तौर पर जवाब तैयार कराए थे, वे विधायक के तौर पर होंगे।
यहां असमंजस
विधानसभा सचिवालय ने तय कर लिया है कि जो विधायक अब सदस्य नहीं रह गए हैं उनके जवाब तैयार ही नहीं किए जाएंगे। सत्ता बदलने के बाद असमंजस उन पर है जिन्होंने विधायक के तौर पर सवाल पूछे थे और अब मंत्री हो गए हैं। असमंजस यह भी है कि क्या सरकार बदलने के बाद जवाबों को देना चाहिए।