मौसम की मार: ग्वालियर-चंबल अंचल में बारिश, ओलावृष्टि

ग्वालियर। ग्वालियर-चंबल अंचल के जिलों में कहीं बारिश तो कही ओलावृष्टि से गेहूं और सरसों की खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा है। शनिवार देर रात तक जारी बारिश के बाद रविवार को जब किसान खेतों में पहुंचे तो बिछी हुई फसल को देख उनकी चिंता बढ़ गई। दतिया के बसई में जब नुकसान के सर्वे के लिए कोई अधिकारी नहीं पहुंचा तो किसानों ने चक्काजाम कर दिया।
मुरैना में वर्तमान में सरसों, गेहूं, चना, अरहर, सहित अन्य फसलें तकरीबन पकी हुई हालत में खेतों में खड़ी हुई है। शनिवार को मौसम का मिजाज बिगड़ा और ओलावृष्टि व बारिश से फसलें प्रभावित हुईं हैं। यहां इस बार किसानों ने 1 लाख 51 हजार हैक्टेयर के करीब रकबे में सरसों की बुवाई की है।
गेहूं की बालियों में दाने पड़ चुके हैं। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक अभी दो तीन तो मौसम ऐसा ही रहेगा। यानि हल्की बारिश हो सकती है और ओलावृष्टि की भी आशंका है। पांच मार्च के बाद फिर से बारिश का सिस्टम बन सकता है।



शिवपुरी में 50 फीसदी नुकसान
शिवपुरी के पिछोर सहित अन्य इलाकों में बारिश व ओलावृष्टि से एक हजार हेक्टेयर क्षेत्र में खड़ी फसलों को 50 फीसदी नुकसान पहुंचा है। किसानों का कहना है कि फसल पककर तैयार थी और वह कुछ ही दिनों में इसकी कटाई करते लेकिन बारिश ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया है।
बारिश के साथ तेज हवा भी चल रही थी जिसके कारण कई खेतों में गेहूं और सरसों की फसल पूरी तरह से बिछ गई है। एसडीएम पिछोर उदयसिंह सिकरवार का कहना है कि बारिश से फसलों को नुकसान हुआ है इसके सर्वे के लिए निर्देश दे दिए है।
ग्रामीणों ने बसई-पिछोर रोड पर लगाया जाम
दतिया के बसई क्षेत्र में फसल बर्बाद होने से रविवार सुबह जब कोई अधिकारी सर्वे के लिए नहीं पहुंचा तो ग्रामीणों ने बसई-पिछोर रोड पर जाम लगा दिया। पुलिस और राजस्व विभाग मौके पर पहुंचे और आज से ही सर्वे शुरू किए जाने का आश्वासन दिया तब जाकर जाम खुला। किसानों ने करीब 50 प्रतिशत नुकसान होना बताया है। कृषि विभाग के उप संचालक आरएन शर्मा ने बताया कि करीब 40 से 50 प्रतिशत फसलों का नुकसान हुआ है।
टीकमगढ़-निवाड़ी में गेहूं की फसल को ज्यादा नुकसान
बुंदेलखंड के टीकमगढ़, बल्देवगढ़, निवाड़ी, पृथ्वीपुर, खरगापुर में शनिवार रात तेज हवा के साथ बारिश हुई। टीकमगढ़ मुख्यालय पर रविवार को भी सुबह बारिश का दौर शुरू हुआ था। इस क्षेत्र में कई खेतों में किसानों की फसलें बिछ गईं।